|| कार्यपालिका क्या है? कार्यपालिका के प्रकार, कार्य और कार्यपालिका का अर्थ | karypalika Kya Hain | What is executive | कार्यपालिका व्यवस्था | कार्यपालिका का विस्तृत अर्थ ||
कार्यपालिका सरकार का दूसरा महत्वपूर्ण भाग है। व्यवस्थापिका द्वारा जिन कानूनों को बनाया जाता है कार्यपालिका उन कानूनों का पालन कराती है। राज्य के समस्त प्रशासनिक कार्यों को कार्यपालिका द्वारा ही किया जाता है।
अगर आप कार्यपालिका के बारे में विस्तार से समझना चाहते हैं तो आपको हमारे लेख को अंत तक पढ़ना चाहिए। यहां पर हमने आपको कार्यपालिका के बारे में काफी विस्तार में जानकारी दी हुई है। जिससे आप karypalika Kya Hain, कार्यपालिका के कार्य क्या है इन सब बारे में अच्छे से समझ पाएंगे।
कार्यपालिका क्या है? (What is executive?)
व्यवस्थापिका द्वारा जिन कानूनों को बनाया जाता है कार्यपालिका उन कानूनों का पालन कराती है। और जैसा कि मैं आपको बता चुका हूं कि कार्यपालिका सरकार का एक महत्वपूर्ण अंग है और राज्य में जितने भी प्रशासनिक कार्य होते हैं उन्हें कार्यपालिका द्वारा ही कराया जाता है। कार्यपालिका सरकार का इतना महत्वपूर्ण अंग है कि सरकार शब्द का प्रयोग कार्यपालिका के लिए ही किया जाता है।
वास्तव में यह प्रयोग गलत है क्योंकि कार्यपालिका सरकार के 3 अंगों में से एक अंग है। लेकिन बहुत से लोगों को पता नहीं होने के कारण कार्यपालिका को ही सरकार बोल देते हैं जो कि वास्तविक रूप से सही नहीं है। मैं आशा करूंगा आपको समझ में आया होगा कि कार्यपालिका क्या है।
कार्यपालिका का अर्थ
अगर आप कार्यपालिका का अर्थ जानना चाहते हैं तो आपको इस लेख को अंत तक पढ़ना चाहिए। दोस्तों कार्यपालिका सरकार का ही महत्वपूर्ण अंग है। सरकार द्वारा जो भी प्रशासनिक कार्य बताए जाते हैं कार्यपालिका उन्हें पूरा कराती है। कार्यपालिका की परिभाषा कई लोगों ने अलग-अलग भी है अगर हम सीधे तौर पर इसके बारे में समझे तो कार्यपालिका सरकार का एक ऐसा अंग है
जो कानून के रूप में अभिव्यक्त जनता की इच्छा को कार्य रूप से परिणित करता है। यह एक ऐसी धुरी है जिसके चारों ओर राज्य का वास्तविक प्रशासन तंत्र चक्कर लगाता है। सरकार के 3 अंगों में से कार्यपालिका भी एक महत्वपूर्ण अंग है जो कि अपना रोल बखूबी निभाती है। इसी के साथ कार्यपालिका का प्रयोग कई जगहों पर सरकार शब्द के लिए भी किया गया है।
कार्यपालिका का विस्तृत अर्थ
डॉक्टर गार्नर के द्वारा बताया गया है कि विस्तृत और सामूहिक अर्थ में कार्यपालिका के अंतर्गत उन सभी संस्थाओं और कार्यकर्ताओं का समूह शामिल किया गया है। जो कानून के रूप में निर्मित होकर अभिव्यक्त की गई राज्य की इच्छा को लागू करता है। इसी अर्थ में राष्ट्रपति से लेकर लोक सेवा में लगे छोटे से छोटे कर्मचारी भी कार्यपालिका में शामिल होते हैं।
मेरा लोक सेवा से तात्पर्य स्थाई कार्यपालिका से है जो अपनी निर्धारित उम्र तक अपने पदों पर कार्य करते रहते हैं। सरकार के द्वारा दिए गए निर्देशों को कार्यपालिका के द्वारा ही पूरा कराया जाता है। इसी के साथ कार्यपालिका सभी पदों पर कार्यरत कर्मचारियों का ब्यौरा भी रखती है और उन्हें वेतन आदि देने का कार्य भी कार्यपालिका को ही सौंपा गया है।
कार्यपालिका व्यवस्था
राज्य के प्रमुख भाव को वोट देने वाली संस्थागत व्यवस्था को ही सरकार कहा जाता है। राज्य इच्छा का निर्माण अभिव्यक्ति और क्रियान्वयन करने की संस्था धनात्मक संरचना सरकार है। इसी के साथ कार्यपालिका सरकार या शासन का महत्वपूर्ण अंग है जो कि व्यवस्थापिका तथा आम प्रशासन के द्वारा अधिनियमित कानूनों को लागू करने के लिए उत्तरदाई है।
अगर हम इसे सीधी भाषा में समझे तो कार्यपालन संबंधी शक्तियों से संबंधित संरचनात्मक अर्थव्यवस्था को कार्यपालिका कहते हैं। अगर इसे दूसरे शब्दों में समझा जाए तो विधियों को लागू करने के लिए जिस शक्ति का प्रयोग किया जाता है उसे कार्यपालिका शक्ति तथा जिस संसदात्मक संरचना द्वारा इस शक्ति का प्रयोग किया जाता है उसे कार्यपालिका कहा जाता है।
कार्यपालिका के मुख्य रूप से दो अर्थ किए जाते हैं एक व्यापक अर्थ और दूसरा सीमित अथवा संकीर्ण अर्थ अगर हम व्यापक और सामूहिक अर्थ में कार्यपालिका को समझें तो कार्यपालिका के अंतर्गत वे सभी कार्य संस्थाएं एजेंसियां आती हैं जिनका संबंध राज्य की इच्छा के कार्यान्वयन से है जो कानून के रूप में निर्मित और व्यक्त की गई हैं। अगर हम इस बात को सीधी भाषा में समझे तो कार्यपालिका का तात्पर्य राज्य के उन कर्मचारियों से होता है।
जिनका संबंध राज्य के प्रशासन से है इस रूप में कार्यपालिका राज्य के सर्वोच्च अध्यक्ष राष्ट्रपति को लगाकर दफ्तर के एक चपरासी तक सभी प्रशासन कर्मचारियों को कहा जाता है और कार्यपालिका को जिस अर्थ में समझा जाता है उसमें शिवाय विधायिका न्यायपालिका और शायद कूटनीतिक वृंद के सारा शासन तंत्र भी आते हैं। अर्थात कर अधिकारी, निरीक्षक आयुक्त, पुलिस विभाग और सेना एवं नौसेना के अधिकारी भी कार्यपालिका संगठन के प्रमुख अंग हैं।
कार्यपालिका के प्रकार
आज के इस Modern राज्य में कार्यपालिका की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण हो गई है कि बहुत से लोग आम बोलचाल भाषा में कार्यपालिका को ही सरकार के रूप में पहचानते हैं। जबकि वास्तव में कार्यपालिका सरकार का केवल एक अंग है और लोकतंत्र की रक्षा के लिए कार्यपालिका बहुत आवश्यक है। इसी के साथ कार्यपालिका के हाथों में सभी शक्तियां आती हैं और यह अधिनायक तंत्र की प्रवृत्ति पैदा हो जाती है। फाइनल के द्वारा कहा गया है कि सरकार के दो अन्य अंग विधायिका और न्यायपालिका के जितने अधिकार होते हैं उनके बाद जो अधिकार बाकी हैं।
वह कार्यपालिका के ही हैं। क्योंकि कार्यपालिका सरकार का तीसरा महत्वपूर्ण अंग है। विधायक द्वारा बनाए गए और अदालतों द्वारा व्याख्या किए गए कानूनों को लागू करने के अलावा कार्यपालिका के और भी बहुत से काम है। इसी के साथ विभिन्न शासन प्रणालियों के अंतर्गत कार्यपालिका भिन्न-भिन्न रूपों में अपनी भूमिका को अदा कर रही है।
औपचारिक कार्यपालिका
औपचारिक तथा वास्तविक कार्यपालिका के भेद उस राजनीतिक व्यवस्था से संबंधित हैं। जहां संवैधानिक राजतंत्र अथवा संसदीय शासन प्रणाली होती है। राष्ट्रपति संवैधानिक रूप से नाम मात्र का प्रमुख होता है। जिसके पास वास्तविक शक्तियां नहीं है इसी के साथ खासकर संसदीय शासन प्रणाली के देशों में नाम मात्र की कार्यपालिका को देश के वास्तविक शासन का काम बहुत कम करना होता है और उसके सारे कार्यों पर एक मंत्री की सहमति आवश्यक होती है।
अगर हम इसे सही से समझे तो एक ऐसी व्यवस्था जो वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री के अधीन मंत्रियों की परिषद को दी जाती है। इसी के साथ जो विधायिका के प्रति उत्तरदाई होता है मंत्री वास्तविक कार्यपालिका का गठन करते हैं। नाम मात्रिक की कार्यपालिका दो प्रकार की होती है पैतृक और निर्वाचित।
वास्तविक या यथार्थ कार्यपालिका
जब किसी कार्यपालिका का प्रधान नाम मात्र का प्रधान ना होकर राज्य की समस्त शक्तियों का प्रयोग करता है। ऐसे में हम उसे वास्तविक कार्यपालिका कहते हैं। जैसे कि हम एक एग्जांपल के तौर पर समझते हैं अमेरिका का राष्ट्रपति वास्तविक कार्यपालिका का उदाहरण है संसदीय प्रणाली में शासन की यथार्थ सत्य मंत्रिमंडल के हाथों में होती हैं। जिसे हम वास्तविक कार्यपालिका की श्रेणी में रखते हैं। अगर हम सही तरीके से समझे तो सबसे अधिक महत्व वास्तविक कार्यपालिका का है।
एकल और बहुल कार्यपालिका
अभी हम लोग एकल और बहुल कार्यपालिका के बीच में अंतर समझेंगे कि यह दोनों क्या होती हैं और इनका क्या काम होता है तो अगर आप भी इन कार्यपालिका ओं के बीच में डिटेल में अंतर समझना चाहते हैं तो आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। इस लेख के माध्यम से आप आसानी से इन दोनों कार्यपालिका के बीच में अंतर समझ जाएंगे।
एकल कार्यपालिका
एकल कार्यपालिका वह कार्यपालिका है जिसका अध्यक्ष एक नेता होता है और इसकी शक्तियों में इसका कोई भाग नहीं होता अर्थात अगर सही भाषा में समझे तो जिस कार्यपालिका में सारी कार्य करनी शक्तियां एक ही व्यक्ति के हाथों में होती हैं उसे हम एकल कार्यपालिका बोलते हैं। मैं आशा करूंगा आपको हमारी बात समझ में आई होगी।
अब एक एग्जांपल के तौर पर समझते हैं जैसे कि राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री का नेतृत्व इसी में संबंधित होता है। जैसे कि अमेरिका में संघीय सरकार की सारी कार्यकारी शक्तियां राष्ट्रपति के हाथों में होती हैं और उसी को हम मुख्य कार्यकारी कहते हैं। जबकि हमारे देश में ऐसा नहीं है हमारे देश में ज्यादातर कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री के हाथ में होती हैं।
बहुल कार्यपालिका
बहुल कार्यपालिका वह कार्यपालिका होती है जहां मंत्रियों के समूह को निर्देश देने का अधिकार होता है। यह कार्यपालिका एकल कार्यपालिका से बिल्कुल भिन्न है। इसको हम एक उदाहरण के तौर पर समझते हैं जैसे कि जिसमें अनेक सदस्य संयुक्त रूप से सारे महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं और मंत्रिमंडल में उनकी स्थिति हमेशा समान होती है। उसे हम लोग बहुल कार्यपालिका बोलते हैं जैसे कि किसी सदस्य की स्थिति अमेरिकी राष्ट्रपति या ब्रिटिश प्रधानमंत्री के तुल्य नहीं होती है।
इसी के साथ इसमें कार्यपालिका शक्ति एक व्यक्ति तक सीमित ना रहकर व्यक्तियों के एक समिति में जुड़ी हुई होती है एक कार्यपालिका में कार्यपालिका की सारी शक्ति एक व्यक्ति के हाथों में होती है। वही बहुल कार्यपालिका में कार्यपालिका की सारी शक्ति विभिन्न मंत्रियों के हाथ में होती है।
इसी के साथ इसमें कार्यपालिका शक्ति एक व्यक्ति तक सीमित ना रहकर व्यक्तियों के एक समिति में जुड़ी हुई होती है। एक कार्यपालिका में कार्यपालिका की सारी शक्ति एक व्यक्ति के हाथों में होती है वही बहुल कार्यपालिका में कार्यपालिका की सारी शक्ति विभिन्न मंत्रियों के हाथ में होती है।
राजनैतिक तथा गैर राजनीतिक कार्यपालिका
अगर आप राजनीतिक और गैर राजनीतिक कार्यपालिका के बारे में जानकारी लेना चाहते हैं तो आपको यहां पर डिटेल में इस बारे में जानकारियां बताई गई हैं। जैसा कि आपको पता है राजनीतिक कार्यपालिका का संबंध अस्थाई कार्यपालिका से होता है। इसी के साथ गैर राजनीतिक कार्यपालिका का संबंध स्थाई कार्यपालिका से होता है तो आइए इन दोनों के बीच में अंतर समझते हैं। और उनके बारे में डिटेल में जानकारी लेते हैं।
राजनैतिक या अस्थाई कार्यपालिका
लोकतंत्र प्रणाली के अंतर्गत राजनीतिक निर्णय तथा सर्वोच्च प्रशासनिक निर्णय मुख्य कार्यकारी या फिर मंत्रिमंडल के हाथों में होते हैं। इन्हें हम लोग राजनीतिक कार्यपालिका की श्रेणी में रखते हैं क्योंकि यह सभी लोग आवजे चुनाव में विजय प्राप्त करके इस पद पर पहुंचते हैं। और जैसा कि आपको पता है इन लोगों को अपने पद पर बने रहने के लिए बार-बार मतदाताओं या उनके प्रतिनिधियों का समर्थन और विश्वास प्राप्त करना होता है। और इसे अस्थाई कार्यपालिका इसलिए भी बोलते हैं। क्योंकि मतदाता किसी भी नेता या फिर मंत्री को चुनाव के दौरान बदल भी सकता है। इसीलिए यह एक अस्थाई कार्यपालिका होती है जो कि हमेशा बदलती रहती है।
गैर राजनीतिक या स्थाई कार्यपालिका
गैर राजनीतिक कार्यपालिका उसे बोलते हैं जहां पर बहुत सारे अधिकारियों को शामिल किया जाता है और इसे स्थाई कार्यपालिका इसलिए भी कहा जाता है। क्योंकि अधिकारियों का मतदाताओं से कोई मतलब नहीं होता है और अधिकारी अपनी योग्यता और कुशलता के आधार पर चुने जाते हैं। इसीलिए वह लंबे समय तक अपने पद पर बने रहते हैं और जब तक यह सेवानिवृत्त नहीं हो जाते हैं तब तक यह उसी पद पर बने रहते हैं।
इसीलिए यह स्थाई कार्यपालिका की श्रेणी में आते हैं। गैर राजनीतिक कार्यपालिका किसी विशेष राजनीतिक दल के साथ नहीं होती है और इनका काम राजनीतिक कार्यपालिका के निर्णयों को क्रियान्वयन करना होता है। इसी के साथ राजनीतिक स्थिति में परिवर्तन होने से भी इनके अस्तित्व में कोई कमी नहीं आती है और इसी कारण इन्हें हम लोग स्थाई कार्यपालिका में शामिल करते हैं। तो मैं आशा करता हूं आपको अस्थाई और स्थाई कार्यपालिका में डिफरेंस पता चल गया होगा।
लोकतांत्रिक कार्यपालिका
जब किसी कार्यपालिका के सदस्यों को चुनाव लोगों द्वारा किया जाता है तो इसे लोकतांत्रिक कार्यपालिका बोलते हैं। यह अपने निर्वाचक ओं के प्रति उत्तरदाई होती है। इसी के साथ इस कार्यपालिका में मंत्रियों के आचरण की आलोचना करने और उनकी निंदा करने की आजादी भी होती है।
सर्वाधिकारवादी पद्धति का रूप
इस कार्यपालिका में वास्तविक कार्यपालिका के लोगों उनके चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा हटाया नहीं जा सकता है। इसी के साथ यहां पर सरकार के व्यवहार की आलोचना अथवा निंदा करने की स्वतंत्रता नहीं दी जाती है। किसी भी राजनीतिक दल के उच्चतम नेता या किसी सैनिक मंडली के बड़े बड़े अधिकारी शासन का संचालन करते हैं।
उपनिवेशवादी कार्यपालिका
उपनिवेशवादी कार्यपालिका एक उपनिवेशवादी शासन के पर्यवेक्षण निर्देशन और नियंत्रण के अधीन कार्य को करती है। इसी के साथ इसे हम लोग नामित कार्यपालिका भी बोल सकते हैं। क्योंकि एक आश्रित देश के वास्तविक शासकों को उपनिवेश ही शक्ति के द्वारा जाना जाता है।
संसदीय कार्यपालिका
संसदीय शासन प्रणाली का संचालन एक मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद द्वारा किया जाता है। इसी के साथ यह सामूहिक रूप में विधायिका के प्रति उत्तरदाई है संसदीय कार्यपालिका के तहत सांकेतिक कार्यकारी अथवा सम्राट या राष्ट्रपति को ना तो कोई यथार्थ शक्तियां प्राप्त होती हैं ना उसका कोई उत्तरदायित्व होता है। और आपको पता होगा कि इंग्लैंड एवं भारत में इसी प्रकार की कार्यपालिका है।
राष्ट्रपति या अध्यक्षात्मक कार्यपालिका
राष्ट्रपति है या अध्यक्षात्मक कार्यपालिका संसदीय कार्यपालिका से बहुत भिन्न है क्योंकि इसमें राष्ट्रपति वास्तविक शक्तियों का उपयोग करता है। अगर हम सीधी भाषा में समझे तो यह राष्ट्रपति के नेतृत्व के अधीन कार्य करती है जो कि विधायिका के प्रति उत्तरदाई नहीं होते।
कार्यपालिका के कार्य
बहुत प्रकार के शासन प्रणालियों के अंतर्गत कार्यपालिका के कार्य अलग-अलग होते हैं उदाहरण के तौर पर अधिनायक तंत्र शासन में कार्यपालिका के कार्यों की सीमा ही नहीं है। संसदीय शासन में कार्यपालिका के कार्य अध्यक्ष कार्यपालिका से कुछ भिन्न होते हैं। इसी के साथ कार्यपालिका के कुछ प्रमुख कार्य भी हैं जिनके बारे में हम अभी चर्चा करेंगे जैसे कि।
- प्रशासन संबंधी कार्य
- राजनीतिक व कूटनीतिक कार्य
- सैनिक कार्य
- व्यवस्थापिका संबंधी कार्य
- वित्तीय कार्य
- न्यायिक कार्य
कार्यपालिका के अन्य कार्य
कार्यपालिका के और भी बहुत से काम है जिनके बारे में जानना काफी जरूरी है। तो आइए जानते हैं इन सभी कामों के अलावा भी कार्यपालिका के क्या क्या काम है। यहां पर हमने कार्यपालिका के अन्य सभी कामों के बारे में डिटेल में जानकारियां शेयर की हैं। जिनको आप बड़ी आसानी से पढ़ सकते हैं।
- कार्यपालिका अपने नागरिकों को विशिष्ट सेवाओं के लिए सम्मान अलंकार या उपाधि भी प्रदान करती है। इसी के साथ यह आर्थिक सहायता व पेंशन को भी मुहैया कराती है।
- शिक्षा कृषि व्यापार यातायात आदि संबंधी अनेक कार्यों को कार्यपालिका के द्वारा ही किया जाता है।
- कॉमनवेल्थ के अध्यक्ष ब्रिटेन का सम्राट के रूप में भी कार्य करता है।
- भारत में राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियां प्राप्त हैं जैसे कि आपातकालीन स्थिति में भारत के राष्ट्रपति कई मुख्य निर्णय ले सकते हैं। क्योंकि यह शक्तियां उन्हें प्राप्त हैं इसी के साथ आपातकालीन स्थिति में किसी भी निर्णय को लेने से पहले मंत्रिमंडल को राष्ट्रपति से परमिशन लेनी पड़ेगी।
- भारत के राष्ट्रपति किसी भी व्यक्ति की सजा को माफ या फिर कम कर सकते हैं। यह अधिकार भी उन्हें प्राप्त है न्यायालय के बाद भारत के राष्ट्रपति को ही यह अधिकार प्राप्त है कि वह किसी की सजा को कम या फिर माफ कर सकते हैं।
संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Related FAQ)
कार्यपालिका का क्या अर्थ है?
कार्यपालिका सरकार का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो कि व्यवस्थापिका द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन कराती है। इसी के साथ राज्य के सभी प्रशासनिक कार्यो को भी कार्यपालिका के द्वारा ही किया जाता है।
कार्यपालिका क्या है?
सरकार के 3 सबसे महत्वपूर्ण अंग में कार्यपालिका भी दूसरा सबसे महत्वपूर्ण अंग है जोकि राज्य में सभी प्रशासनिक कार्य को कराता है।
कार्यपालिका के कितने प्रकार हैं?
कार्यपालिका के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं जैसे कि औपचारिक कार्यपालिका, वास्तविक या यथार्थ कार्यपालिका, एकल और बहुल कार्यपालिका, राजनीतिक तथा गैर राजनीतिक कार्यपालिका, लोकतांत्रिक कार्यपालिका, सर्वाधिकारवादी पद्धति का रूप कार्यपालिका, उपनिवेशवादी कार्यपालिका, संसदीय कार्यपालिका, राष्ट्रपति या अध्यक्षात्मक कार्यपालिका।
कार्यपालिका के क्या कार्य हैं?
कार्यपालिका के निम्नलिखित कार्य हैं जैसे कि प्रशासन संबंधी कार्य, राजनीतिक व कूटनीतिक कार्य, सैनिक कार्य, व्यवस्थापिका संबंधी कार्य, वित्तीय कार्य, न्यायिक कार्य इसके अलावा भी कार्यपालिका के बहुत से अन्य कार्य भी हैं। जिनके बारे में हमने अपने लेख में जानकारी दी हुई है।
अगर आप हमारा यह लेख ध्यानपूर्वक पढ़ते हैं तो आपको अपने सभी प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा। उम्मीद करते हैं कि आप सभी के लिए इस लेख में बताई गई जानकारी उपयोगी साबित रही होगी अगर आर्टिकल अच्छा लगा हो तो कृपया करके इसे अपने सभी दोस्तों के साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर जरूर करें।