|| IPC Section 107 In Hindi | आईपीसी धारा 107 क्या है? | What is IPC Section 107 | आईपीसी धारा 107 कब लगती है? | आईपीसी धारा 107 क्यों लगती है? | धारा 107 में क्यों वकील की ज़रूरत होती है। | धारा 107 के मुख्य तत्व | IPC 107 Elements ||
वर्तमान समय में बच्चा जब भी अपने भविष्य के विषय में सोचता है तो वह या तो डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहता है। क्योंकि यह दो भारत में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध करियर के रास्ते हैं परंतु जमाने के साथ-साथ समाज में अपराधों में वृद्धि हुई है। गरीब असहाय लोग जिन्हें कम ज्ञान है वह अपने साथ होने वाले अपराधों को सहन करते रहते हैं तथा इस सोच में लगे रहते हैं कि अगर उनके पास पैसे होते तो वह इन अपराधों को कभी नही झेलते तथा इन अपराधियों का डटकर सामना करते हैं।
परंतु शायद उन्हें यह नहीं मालूम कि अगर उन्हें कुछ कानूनों के विषय में जानकारी होती तो वह इन सारी परेशानियों से बच सकते थे। पढ़ा लिखा व्यक्ति इस बात में ही सफल है।(educated person know about there rights)उसे अपने हक्का कानूनों का तथा अपने साथ होने वाले अत्याचारों की निंदा और विरोध करने का ज्ञान होता है वह अपने साथ होने वाले अपराधों का डटकर सामना करते हैं तथा उन्हें जवाब भी देते हैं।
परंतु असहाय लोग जिनमें ज्ञान का अभाव है। (illeterate people are not aware with there capabilities) जो कभी भी अपने साथ होने वाले अपराधों के विरुद्ध नहीं बोलते तथा उन्हें सहन करते रहते हैं उनके साथ होने वाली जाति में और वृद्धि हो जाती है क्योंकि यह दुनिया सहन करने वाले को और सताती है सामने वाले को यह मालूम पड़ जाता है कि हम उसके साथ कुछ भी कर ले बदले में यह है हमारा कुछ नहीं बिगड़ पाएगा ऐसी दुर्भाग्य था से बचने के लिए हमें कानूनों का ज्ञान होना अति आवश्यक है।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको आईपीसी की धारा 107 ( IPC 107 Kya Hai) के विषय में पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे। हम आपको बताएंगे किस धारा के अनुसार आप के क्या-क्या अधिकार हैं। किन कानूनों के तहत धारा 107 में सजा का प्रावधान किया गया है तथा इस में कितनी सजा दी जाती है अगर आप भी कानून के विषय में थोड़ी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें इस आर्टिकल में हम आपको आईपीसी की धारा 107 (IPC Section 107 In Hindi) के विषय में बताएंगे।
भारतीय दंड संहिता की धारा 107 (Section 107 of Indian penal code)
भारतीय दंड संहिता की धारा 107 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को कानूनी काम या सही काम करने से रोकता है तो वह धारा 107 के अनुसार अपराधी माना जाता है।(if any person stops other doing any work )किसी दूसरे व्यक्ति को उसके काम से रोकने के प्रयास को दुष्प्रेरण कहा जाता है वैसे तो किसी व्यक्ति को उसके काम से रोकना कोई गलत बात नहीं है परंतु जब दुष्प्रेरण किसी असामाजिक तत्व अथवा गैर कानूनी तरीके से किया जाता है तो वह अपराध के भीतर आ जाता है।
उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति अपनी दुकान का कारोबार करता है। तथा कोई असामाजिक दुकानदार को परेशान कर रहा है। अथवा उसके साथ मारपीट का प्रयास कर रहा है। और उसकी दुकान बंद करवाना चाहता है इस तरह के कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 107 (IPC Section 107 In Hindi) के अंदर अपराध की श्रेणी में आ जाते हैं और ऐसे अपराधियों को दंड भी दिया जाता है।
धारा 107 का विवरण (Detail of section 107)
भारतीय दंड संहिता की धारा 107 (according to. INDIAN PENAL CODE section. 107)के अनुसार वह व्यक्ति जो किसी दूसरे व्यक्ति के किए गए काम का अपमान करता है तथा
- कोई गलत काम करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को उकसाता है।(person provokes तो another one in doing any crime) एवं उस दूसरे व्यक्ति से उसके दिमाग में भरकर गलत काम करवाता है।
- किसी गलत काम के लिए षड्यंत्र बनाता है तथा इस षड्यंत्र (crime taken place by the group of people) में कई लोगों को शामिल करता है और एक गलत काम को अंजाम देता है।
- किसी और व्यक्ति के अवैध तथा गलत काम में व्यक्ति की मदद करता है या उसे किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान करता है वह व्यक्ति भी धारा 107 के अनुसार अपराधी माना जाता है।
ऊपर दिए गए विवरण के अनुसार यदि किसी व्यक्ति ने इन तीनों कामों में से किसी एक काम को अंजाम दिया है तो वह धारा 107 के अनुसार अपराधी माना जाता है।
दुष्प्रेरण (Abusive) कैसे और क्या होता है। (What is abusive and how it happen)
जैसा कि हमने आपको ऊपर भी समझाया है। दुष्प्रेरण वह प्रक्रिया है जिसके भीतर किसी दूसरे व्यक्ति को कोई गलत काम करने के लिए उकसाया जाता है भारतीय दंड संहिता के अनुसार दुष्प्रेरण तीन प्रकार का हो सकता है यह तीनों प्रकार हमने आपको नीचे पॉइंट के माध्यम से समझाएं हैं
- यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को गलत काम करने के लिए अप सत्ता है तब यह कृत्य दुष्प्रेरण के भीतर आ जाता है। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति खुद किसी व्यक्ति से बदला लेने में असमर्थ है तो वह एक दूसरे व्यक्ति को अपने दुश्मन के खिलाफ भड़काता है। उसके खिलाफ जहर बोलता है तथा अपराध करने के लिए उसे मना लेता है भारतीय दंड संहिता की धारा 107 के अनुसार यह एक अपराध है।
- यदि किसी अपराधी ने एक षड्यंत्र रचा है तथा उस संयंत्र में बहुत सारे व्यक्तियों को शामिल कर लिया है और उन सभी को अपने षड्यंत्र में अपराध करने के लिए किसी भी प्रकार के रुपए दिए हैं और उनसे गलत कार्य या गैर कानूनी कार्य करवाया है तो यह दुष्प्रेरण की श्रेणी में आता है। उदाहरण के लिए यदि कोई चोरी करने वाला समूह जिसमें किसी का कार्य ताला तोड़ना किसी का पैसे लेकर भागना ऐसे विभिन्न कार्य सौंप दिए जाते हैं तो यह समूह में रचा हुआ षड्यंत्र या अपराध होता है।
- यदि एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को जानबूझकर कोई गलत काम करने के लिए कहता है तो भारतीय दंड संहिता के अनुसार यह एक अपराधिक कृत्य है उदाहरण के लिए यदि एक व्यक्ति किसी जाने-माने बदमाश से पैसे देकर किसी का खून या किसी को चोट पहुंचाता है तो वह भी दुष्प्रेरण की श्रेणी में आता है।
धारा 107 के मुख्य तत्व (IPC 107 Elements )
नीचे हम आपको यह समझाने का प्रयास करेंगे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 107 के अनुसार दुष्प्रेरण के मुख्य तत्व कौन कौन से हैं।
1.किसी व्यक्ति को प्रेरित करना
भारतीय दंड संहिता के अनुसार दुष्प्रेरण वह होता है जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को कोई कार्य करने से रोकता है किसी कार्य को करने के लिए सुझाव देता है किसी कार्य को संपन्न कराने के लिए मदद करता है यह सारे काम दुष्प्रेरण की श्रेणी में आते हैं परंतु यह अपराध के भीतर तभी आ सकते हैं जब इन कृतियों से कोई गलत काम होता है अथवा किसी को नुकसान पहुंचता है कानून के अनुसार तभी कानून इसे आपराधिक कृत्यों के अंदर ले सकती है क्योंकि किसी व्यक्ति को अपराध का रास्ता दिखाना भी एक अपराध होता है।
2. षड्यंत्र रचना
षड्यंत्र वह है जिसके अंतर्गत अच्छी तरीके से पहले ही सोच विचार कर किसी कार्य को अंजाम दिया जाता है यह कार्य अपराधिक भी हो सकता है गैर आपराधिक भी हो सकता है षड्यंत्र में सभी का किरदार निश्चित होता है तथा इस में 1 से अधिक लोग सम्मिलित होते हैं यदि षड्यंत्र गैर कानूनी अथवा आपराधिक है तो धारा 107 के अनुसार वे सभी व्यक्ति जो षड्यंत्र में शामिल है सजा के भागीदार होते हैं षड्यंत्र लोगों के समूह से किया जाता है तथा एक जाल बिछाकर अपराध को अंजाम दिया जाता है हिंदी में हमें से सोची समझी साजिश कहते हैं।
3. किसी की सहायता से दुष्प्रेरण (Abusive) करना
दुष्प्रेरण के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को अपराध में सहायता करता है अथवा उसे पता होता है कि यह हमारी चीज का गैर कानूनी तरीके से इस्तेमाल करेगा फिर भी उसकी मदद करता है तो वह दुष्प्रेरण की श्रेणी में आता है दुष्प्रेरण किसी व्यक्ति की आपराधिक कृत्य में मदद करने को कहते हैं उदाहरण के लिए मकान मालिक अपना मकान किराएदार को यह पता होते हुए भी किराए पर दे देता है कि उसका मकान किसी गैर कानूनी कार्य के लिए इस्तेमाल किया जाएगा परंतु पैसों के लालच में वह कानून की परवाह नहीं करता और गलत कृत्य को अंजाम देता है इस कारण दुष्प्रेरण में अपराध की श्रेणी में आता है।
4. किसी कार्य को सरल बना कर
यदि कोई व्यक्ति अपराध करने जा रहा है तथा उसका अपराध करने का तरीका जटिल एवं गलत है एवं उसको आप एक सही तरीका बता कर उसके आपराधिक कार्य को आसान बनाते हैं तो यह भारतीय दंड संहिता के अनुसार आपराधिक कृत्य में आता है।
धारा 107 में सजा का प्रावधान (Punishment in Section 107 )
भारतीय दंड संहिता की धारा 107 के अनुसार यदि किसी व्यक्ति ने किसी का दुष्प्रेरण किया है जैसे किसी व्यक्ति के गलत काम को सरल बनाने (help anotherin crime or abusive work) में उसकी सहायता की है। षड्यंत्र रच कर किसी आपराधिक कृत्य को अंजाम दिया है। यह किसी गलत कार्य के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को उकसाया है तो यह सारे ही कृत्य दुष्प्रेरण के भीतर आते हैं।
यदि न्यायालय में यह कृत्य सही पाए जाते हैं। तो जिस भी प्रकार का दुष्प्रेरण अपराधी ने किया है उसके अनुरूप अपराधी को सजा दी जाएगी कानून का यह उसूल है। कि किसी भी अपराधी को उसकी गलती से अधिक सजा नही दी जाए या किसी भी सही व्यक्ति को कभी भी कानून से किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े इस कारण सजा बहुत ही सोच समझकर एवं किए हुए अपराध के लिए ही दी जा सकती है।
धारा 107 में क्यों वकील की ज़रूरत होती है। (Why is lawyer important in IPC section 107)
धारा 107 में यदि कोई व्यक्ति या अपराधी किसी दूसरे व्यक्ति का दुष्प्रेरण करता है तथा दुष्प्रेरण करने के लिए अपराधी पाया जाता है। तो उसे धारा 109 के अनुसार सजा दी जाती है धारा 109 (person found guilty according to section 107 is punished according to section 109)में दी जाने वाली सजाएं बहुत ही मुश्किल होती हैं तथा इन में जमानत मिलना या रिहा होना बहुत ही बहुत ही मुश्किल होता है कोई जानकार व्यक्ति ही धारा 109 से संबंधित केस को लड़ सकता है।
धारा 109 से संबंधित केस को लड़ने के लिए एक जानकारी प्राप्त वकील की आवश्यकता होती है। जिसे अपने क्षेत्र के विषय में संपूर्ण जानकारी हो तथा जो विश्वसनीय हो जिसने पहले भी अपने क्षेत्र में कई केस जीते हो वाकई सराहनीय कार्य किए हैं।(lawyer who is well educated and good at ऐसे व्यक्ति को अदालत में खड़ा रखने के लिए वकील से बेहतर और कोई नहीं होता धारा 109 के केसों में इसी कारण वकील की आवश्यकता बहुत अधिक होती है बिना वकील के इस प्रकार के केस्को जीत पाना बहुत मुश्किल है।
हम आपको कुछ उदाहरण के माध्यम से समझाते हैं की धारा 107 के अंतर्गत दुष्प्रेरण किस प्रकार से किया जाता है
Ex.1 यदि कोई व्यक्ति अपने घर में किसी किराने की दुकान चलाता है तथा उसी के पड़ोस में एक दूसरी दुकान पहले से खुली हुई है उस दुकान का मालिक बहुत ही दबंग है अब आपने भी उसी के बराबर में अपनी दुकान खोली है यह बात मालिक को पसंद नहीं आती और वह अपने साथियों के साथ मिलकर आपकी दुकान को तोड़ फोड़ देता है इस प्रकार के कृत्य आपराधिक कृत्यों में आते हैं और इसमें सजा धारा 109 के अनुसार दी जाती है।
Ex. 2 यदि कोई व्यक्ति अपना घर बनवा रहा है तथा जमीन के विवाद के कारण आपराधिक कृत्य व्यक्ति के घर में तोड़फोड़ करते हैं और उसके घर को तहस-नहस कर देते हैं जिस कारण व्यक्ति को बहुत नुकसान होता है इस तरीके के कर्तव्य धारा 107 के अनुसार आपराधिक कृत्यों में आते हैं और इन्हें धारा 109 के अनुसार सजा दी जाती है।
IPC 107 से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर
आईपीसी की धारा 107 क्या है?
आईपीसी की धारा 107 में यदि कोई अपराधी किसी दूसरे अपराधी को दुष्प्रेरण करके यानी कोई गलत काम करने के लिए उत्साह कर कोई षड्यंत्र रच के यह किसी को कार्य को रोकने आदि के कृत्य को अंजाम देता है तो वह आईपीसी की धारा 107 के अंदर आते हैं।
दुष्प्रेरण किसे कहा जाता है?
दुष्प्रेरण तीन प्रकार से हो सकता है यदि अपराधी किसी दूसरे व्यक्ति को किसी षड्यंत्र में मिलाकर अपराध को अंजाम देता है अथवा वह किसी व्यक्ति को उसके किए हुए काम को करने से रोकता है या किसी आपराधिक कृत्य को आसान बना देता है यह तीनों ही कारण दुष्प्रेरण के अंदर आते हैं।
आईपीसी की धारा 107 में वकील की आवश्यकता क्यों होती है?
आईपीसी की धारा 107 में वकील की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि दुष्प्रेरण में धारा 109 के अनुसार सजा सुनाई जाती है धारा 109 के अनुसार दी जाने वाली सजाएं गैर जमानती होती हैं तथा अति कठिन होती हैं इसलिए इस प्रकार के मुकदमे लड़ने के लिए किसी जानकार व्यक्ति को ही आगे किया जाता है तभी वह इस तरह के केस जीत सकता है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको आईपीसी धारा 107 के विषय में संपूर्ण जानकारी प्रदान की है इसके अनुसार किस तरह की सजा का प्रावधान है तथा इनमें किस तरह के अपराध आते हैं। इस आर्टिकल में हमने आपको पूरी जानकारी बताई है।
यदि आप भी आईपीसी धारा 107 के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे आर्टिकल के माध्यम से इसके विषय में जानकारी ले सकते हैं। यदि आपके मन में आर्टिकल से संबंधित किसी भी प्रकार का कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
Thank you sir from India
Sir hum teen logo ke sath thagi hui hai .lekin fir sirf ek ki hui hai .2 logo ka naam nahi hai .jab humne iss bare mai io sir se kaha to vo keh rahe ki dhara 107 mai jod denge aapka naam.kuch samajh mai nahi aaraha