|| बैंक दिवालिया क्यों होता है? | बैंक दिवालिया होने के क्या कारण है? | Bank diwaliya Kyun Hota Hai in Hindi | बैंक का डूबना क्या होता है? | Bank ka dubna kya hai | क्या बैंक डूबने पर खाते में जमा पैसा मिलता है? | बैंक दिवालिया होने पर कितना पैसा वापस मिल सकता है? | क्या बैंक के डूबने पर बैंकिंग सेवाएं चालू रहती है? ||
आज भारत समेत कई देश आर्थिक मंदी का समाना कर रहे है, जिसका पहला कारण कोरोना महामारी और दूसरा कारण रूस यूक्रेन के मध्य को माना जा रहा है लेकिन इन सब के अतिरिक्त बढ़ती जनसंख्या भी देश की आर्थिक मंदी का एक प्रमुख कारण है। आज के समय में भारत भी सबसे अधिक जनसँख्या वाला देश बन चुका है और हमारे देश में तेजी से बेरोजगारी और गरीबी तेजी से बढ़ रही है।
हालांकि सरकार के द्वारा हर रोज बेरोजगारों और गरीबों को मुफ्त में राशन और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। जिसकी वजह से हर राज्य की सरकार का दिवाला निकाला है लेकिन इसमें सबसे बड़ा दिवाला जिसका निकल रहा है वह है बैंक। पिछले कुछ सालों में बहुत सारे बड़े बैंक दिवालिया हो चुके हैं और वहीं देश के कई बैंक दिवालिया होने की कगार पर खड़े है जोकि चिंता का एक बहुत ही बड़ा विषय है।
आप में कई लोग अब कहेंगे, आखिर बैंक जो आम नागरिकों के पैसे रखने और देश की इकॉनमी या अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रभाव डालते है, वे किस प्रकार से दिवालिया हो सकते है। बैंक दिवालिया क्यों होता है? बैंक दिवालिया होने के क्या कारण है? तो आज इस लेख में हम बैंक क्यों डूबते है? और बैंक के दिवालिया होने के क्या कारण है? आदि विषय पर चर्चा करेंगे।
इसलिए अगर आप भी इसके संबंध में सभी जानकारी प्राप्त करना चाहते हो तो आपको इस लेख को पूरा पढ़ने की आवश्यकता है तो चलिए और अधिक समय को बर्बाद किए बिना शुरू करते है-
बैंक दिवालिया क्यों होता है? (Bank diwaliya Kyun Hota Hai in Hindi)
अगर आप बैंक दिवालिया होने के संबंध में बेहतर तरीके से जानना चाहते है तो उससे पूर्व आपको समझना होगा कि आखिरकार बैंक काम कैसे करता है यानी कि बैंक की कार्यप्रणाली क्या है? क्योंकि जब तक आप अच्छी तरह से एक बैंक काम करने की प्रक्रिया के बारे में नही जान लेते, तब तक आप बैंक दिवालिया किस कारण से होता है? यह नहीं समझ पाएंगे।
आप में अधिकतर लोग बैंक उससे मानते है, जो हमारे पैसे जमा करवाने या निकालने के काम आता है किंतु ऐसा नहीं बैंक का कार्य इससे भी बहुत अधिक बड़ा और महत्वपूर्ण होता है। बैंक न सिर्फ लोगो के पैसों को रखने में और उन्हें पुनः उसे देने का सामाजिक कार्य नहीं करता बल्कि यह एक बहुत ही बड़ा बिज़नेस मॉडल होता है जो पूर्णतया पैसों पर ही चलता है। जिससे आम नागरिकों के साथ साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलता है।
लेकिन जब कोई बैंक किसी की देनदारी अपने एसेट से ज्यादा हो जाती है। अर्थात् जब बैंक किसी कारण को वजह से घाटे में चला जाता है या बैंक का पैसा फंस/ डूब जाता है। और वह बैंक अपने ग्राहकों का पैसा वापस लौटने में असमर्थ रहता है तो इससे ही बैंक का दिवाला निकलना कहते हैं।
बैंक क्या होता है? (Bank kya hota hai in Hindi)
यह जानने से पहले कि बैंक दिवालिया क्यों होता है? पहले आपको बैंक क्या होता है? (Bank kya hota hai) और बैंक का काम क्या होता है? इसके संबंध में अच्छी तरह से समझना होगा। बैंक आप सभी जानते है कि जहां लोग अपना खाता खुलवाकर अपना पैसा जमा करवाते है, उसे बैंक कहते है। बैंक के द्वारा मागरिको को कई अन्य बैंकिंग सुविधाएं जैसे- पैसों का ऑनलाइन लेनदेन, एटीएम का लाभ, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, ऋण इत्यादि का भी लाभ प्रदान किया जाता है।
जिसके बदले में बैंको के द्वारा अपने ग्राहकों से हर वर्ष या फिर तिमाही के अनुसार चार्ज के रूप में कुछ धनराशि काट ली जाती है। लेकिन साथ ही बैंक अपने ग्राहकों के खाते में जमा धनराशि पर कुछ प्रतिशत ब्याज भी प्रदान करता है। यही कारण है कि आज लोग अपने घरों में पैसे रखने की वजह बैंक में पैसे सुरक्षित रखना अधिक पसंद करते है।
क्योंकि उनका मानना है कि बैंक में रखे पैसे सुरक्षित होते हैं और उन्हें अपने पैसों पर ब्याज कमाने का भी अवसर प्राप्त होता है लेकिन जब कभी बैंक डूबता है या दिवालिया हो जाता है तो लोगों को भारी मुश्किलें उठानी पड़ती हैं।
बैंक का डूबना क्या होता है? (Bank ka dubna kya hai)
जैसा कि हमने आपको बता कि जब एक बैंक की देनदारी उसके एसेट बहुत अधिक हो जाती है तो ऐसी स्थिति में बैंक डूब जाता है और वह अपने ग्राहकों का पैसा लौटा पाने में सक्षम ही नहीं होता है, जिससे बैंक का दिवालिया होना या फिर बैंक का डूबना कहे सकते हैं। चलिए इससे एक उदहारण के माध्यम से और अच्छी तरह से समझने का प्रयास करते है। मान लीजिए कि किसी बैंक में एक लाख लोगो ने अपना बैंक अकाउंट खुलवाया है और उन सभी लोगो ने बैंक में कुल दस लाख करोड़ रुपये जमा करवा रखे है।
लेकिन एक समय बाद जब बैंक के पास एसेट कुल देनदारी से कम हो जाती है अर्थात् बैंक के पास उपलब्ध धनराशि और एसेट मिलाकर भी दस लाख करोड़ नहीं हो पाते हैं और वह बैंक अपने ग्राहकों का पैसा लौटा पाने में असमर्थ हो जाता है। इस स्थिति को ही बैंक का डूबना या बैंक का दिवाला निकलना कहते हैं।
बैंक के दिवालिया होने के कारण (Bank collapse reason in Hindi)
उपरोक्त बताई गई जानकारी को पढ़कर आप समझ चुके होंगे कि बैंक की कार्यप्रणाली क्या होती है और बैंक किस प्रकार से दिवालिया क्यों होता है? चलिए अब हम आपको बैंक के दिवालिया होने के कारण के बारे में बताएंगे। वैसे तो एक बैंक के डूबने का कारण उस बैंक के प्रकार, कार्यप्रणाली, निवेश करने के क्षेत्र तथा अधिकारियों व कर्मचारियों पर निर्भर करते है किंतु आपकी जानकारी के लिए हमने नीचे बैंक के दिवालिया होने के कुछ मुख्य कारण बताए है, जो आप निम्न प्रकार से नीचे देख सकते है-
NPA का बढ़ जाना
NPA का बढ़ना बैंक के डूबने का सबसे बड़ा कारण है। जैसा कि आप सभी जानते है कि हर बैंक के द्वारा अपने ग्राहक को की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कर्ज देने का प्रावधान है लेकिन बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें बैंक ने कर्ज दे रखा है या फिर बैंको के द्वारा उन्हें बहुत पहले कर्ज दिया गया था और उन्होंने अभी तक बैंक के पैसे वापस नहीं किए हैं तो ऐसी स्थिति में बैंक बैंक का NPA लगातार बढ़ता ही चला जाता है। जिसकी वजह से बैंक को न चाहते हुए भी खाते को NPA घोषित करना पड़ता है।
बैंक के द्वारा किसी भी बैंक अकाउंट को NPA तब घोषित किया जाता है, जब इस खाते का होल्डर निर्धारित समय अवधि के अंदर बैंक का कर्ज वापस नहीं करता है और उस व्यक्ति से पैसा वापस ना मिलने की संभावना बढ़ जाती है। जिससे बैंक के दिवालिया होने या डूबने की अधिक संभावना रहती है।
बड़े उद्योगपतियों से पैसा ना मिलना
अगर आपको न्यूजपेपर या समाचार पत्र पढ़ने का शौक है तो अपने विजय माल्या व नीरव मोदी जैसे बड़े बड़े उद्योगपतियों के नाम सुन रखे होंगे, जो भारत के सरकारी बैंकों से हजारों करोड़ों रुपए का कर्ज लेकर विदेश में भाग गए हैं और वहां एक अच्छा जीवन यापन कर रहे है हालांकि इन बड़े उद्योगपतियों ने जिन बैंकों से हजारों करोड रुपए का लोन लिया था वह सरकारी बैंक थे जिसकी वजह से वह बैंक डूबने से बच गए। इस स्थान पर अगर कोई निजी बैंक होता तो वह डूब चुका होता।
क्योंकि इतने अधिक धन की भरपाई करना एक छोटे सेक्टर के बैंक के बस की बात नहीं है। सरल भाषा में आपको समझे तो जब कोई बड़े उद्योगपति किसी बैंक से कर्ज के रूप में पैसा लेता है और उसे वापस नहीं चूकता है तो ऐसी स्थिति में बैंक दिवालिया हो जाता है और इसके पश्चात आम नागरिक को को अप्रत्यक्ष रूप से इसकी भरपाई करनी पड़ती है।
निवेश किये गए क्षेत्र का डूब जाना
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बैंकों के द्वारा केवल लोगों को कर्ज ही नहीं दिया जाता बल्कि बैंक अपने पैसों को विभिन्न निवेश क्षेत्र जैसे- कंपनी, उत्पाद, सेवा, नया विचार, व्यापार इत्यादि में निवेश भी करते है, यह निवेश बैंक के डायरेक्टर व निवेशक के द्वारा किया जाता है। यदि किसी बैंक का डायरेक्टर व निवेशक किसी क्षेत्र में आवश्यकता से अधिक निवेश करता है और यदि वह वह क्षेत्र डूब जाता है तो उस बैंक का डूबना निश्चित हो जाता है और फिर बैंक अपने ग्राहकों का पैसा वापस नही लौटा पता है।
बैंक रन का होना
जब किसी बैंक के ग्राहक अपने द्वारा जमा किए गए पैसे तेजी से निकलने लगते हैं तो इस स्थिति को बैंक रन का होना कहते हैं। अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि जब किसी बैंक से लगातार तेजी से पैसे निकलेंगे तो उसे बैंक की अर्थव्यवस्था कमजोर होने लगेगी और बैंक डूब जायेगा। आमतौर पर बैंक रन का होने का करण बैंक के बारे में अफवाह उड़ाना या लोगों का उसे बैंक पर भरोसा कम हो जाना और देश में किसी आर्थिक संकट के आने की वजह से लोग बैंक में जमा किए हुए अपने पैसों को उसे बैंक से तेजी से निकलने लगते हैं परिणाम स्वरूप बैंक दिवालिया हो जाता है।
बैंक के डूबने पर क्या होता है? (Bank diwaliya hone par Kya Hota Hai?)
अब आप सभी के मन में यह प्रश्न जरूर होगा कि जब कोई बैंक दिवालिया घोषित होता है तो उसे बैंक का क्या होता है और जिन लोगों का खाता उसे बैंक में होता है उन लोगों के खातों के साथ क्या होता है और क्या दिवालिया हुए बैंक से ग्राहक अपने पैसे निकाल सकते हैं? तो हम आपको बता दें कि जब भी कोई सरकारी या निजी बैंक डूबता है तो भारत सरकार आरबीआई के द्वारा उसे बैंक को तुरंत दिवालिया घोषित कर दिया जाता है और उसे बैंक के द्वारा दी जाने वाली सभी बैंकिंग सेवाओं को पूर्ण रूप से रोक दिया जाता है।
साथ ही साथ जिन लोगों का अकाउंट उसे बैंक में है उन्हें भी फ्रीज कर दिया जाता है अर्थात जिस बैंक को दिवालिया घोषित किया गया है अगर आपका उसमें अकाउंट है तो आप उसमें ना तो पैसे जमा कर सकते हैं और ना ही निकाल सकते हैं। इसके अतिरिक्त भारत सरकार के द्वारा उसे बैंक के द्वारा दी जाने वाली सभी ऑफलाइन और ऑनलाइन सेवा को भी स्थगित कर दिया जाता है यानी की आप बैंक के द्वारा दी जाने वाली किसी भी सेवा का लाभ नहीं उठा सकते है।
क्या बैंक डूबने पर खाते में जमा पैसा मिलता है?
हमारे बीच बहुत सारे ऐसे लोग होंगे जिनके मन में यह प्रश्न होगा कि बैंक डूबने पर खाते में जमा धनराशि का क्या होता है क्या हमारे खाते में हमें मिलेगी या फिर नहीं? या फिर बैंक डूबने के साथ-साथ हमारा पैसा भी डूब जाएगा।
पहले के समय में जब भी कोई बैंक डूबता था तो जिन लोगों का पैसा बैंक में जमा होता था वह भी डूब जाता था लेकिन अब भारत सरकार के द्वारा एक नियम बनाया गया है जिसके अंतर्गत यदि कोई बैंक डूबता है या दिवालिया घोषित किया जाता है तो उसे बैंक के ग्राहकों को अधिकतम 5 लाख रुपए तक की धनराशि वापस मिल सकेगी।
कहने का मतलब यह है कि यदि आपके बैंक खाते में ₹500000 जमा है तो आपको पूरा पैसा मिल जाएगा लेकिन उससे अधिक धनराशि आपको वापस नहीं मिलेगी। मान लीजिए जो बैंक दिवाली घोषित किया गया है उसमें मौजूद आपके बैंक खाते में ₹200000 हैं तो आपको ₹200000 पूरे मिल जाएंगे किंतु यदि आपके बैंक खाते में 10 लख रुपए जमा है तो आपको अधिकतम ₹500000 ही मिलेंगे जबकि ₹500000 मामले का निपटारा होने के पश्चात मिलेगा।
Bank diwaliya Kyun Hota Hai Related FAQs
बैंक दिवालिया क्यों होता है?
जब कोई बैंक किसी की देनदारी अपने एसेट से ज्यादा हो जाती है। अर्थात् जब बैंक किसी कारण को वजह से घाटे में चला जाता है या बैंक का पैसा फंस/ डूब जाता है और वह बैंक अपने ग्राहकों का पैसा वापस नहीं करती तो बैंक दिवालिया हो जाता है।
बैंक दिवालिया होना किसे कहते है?
जब बैंक के ऊपर इतना अधिक कर्ज हो जाए कि वह उसे चुकाने में असमर्थ हो जाता है तो ऐसी स्थिति में उसे बैंक को दिवालिया या डूबना कहते है।
बैंक के दिवालिया होने का क्या कारण है?
बैंक के दिवालिया होने के कई महत्वपूर्ण कारण है जिसके संबंध में अच्छी तरह से जानने के लिए आप इस लेख का पूरा ध्यान पूर्वक अवलोकन करें क्योंकि इस लेख में हमने बैंक के दिवालिया होने के कारण के बारे में विस्तार पूर्वक बताया है।
बैंक दिवालिया होने पर कितना पैसा वापस मिल सकता है?
यदि कोई बैंक दिवालिया घोषित कर दिया गया है तो आप उसे बैंक में अपने खाते में जमा 5 लाख रुपए तक की धनराशि वापस प्राप्त कर सकते हैं।
यदि बैंक दिवालिया हो जाता है तो खाते में जमा पैसों का क्या होता है?
यदि कोई बैंक दिवालिया हो जाता है तो उसे बैंक के ग्राहकों को भारत सरकार के द्वारा 5 लाख तक की राशि प्रदान कर दी जाती है बची हुई धनराशि को मामले के निपटारे के बाद दिया जाता है?
क्या बैंक के डूबने पर बैंकिंग सेवाएं चालू रहती है?
जी नहीं,बैंक के डूबने पर बैंक के द्वारा दी जाने वाली सभी प्रकार की ऑनलाइन और ऑफलाइन सेवाओं को तुरंत बंद कर दिया जाता है साथ ही साथ ग्राहकों के खातों को भी फ्रीज कर दिया जाता है।
निष्कर्ष
अब आप हमारे इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़कर बैंक दिवालिया क्यों होता है? (Bank diwaliya Kyun Hota Hai in Hindi) और बैंक दिवालिया होने के क्या कारण है? इसके संबंध में अच्छी तरह से जान गए होंगे।
उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा इस आर्टिकल में बताई गई जानकारी समझ आई होगी यदि आपके लिए यह लेख अच्छा लगा हो तो आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप हमारे इस आर्टिकल को अपने सभी दोस्तों और जान पहचान के लोगों के साथ अधिक से अधिक शेयर करें। यदि आप इस लेख से संबंधित कोई अन्य प्रश्न पूछना चाहते हैं तो आप अपने प्रश्न कमेंट सेक्शन में लिखकर हमसे पूछ सकते हो।