|| आर्थिक नियोजन क्या हैं? | Arthik Niyojan kya hai | भारत में आर्थिक नियोजन (Bharat me aarthik niyojan) | आर्थिक नियोजन की विशेषताएं क्या है? ( aarthik niyojan ki kya Visheshtaye hai? | भारत में आर्थिक नियोजन का क्या उद्देश्य है? (Bharat me aarthik niyojan ka kya udhhesya hai? | आर्थिक नियोजन की उपलब्धियां क्या हैं? ( Arthik niyojan ki uplavdhiya kya hai ||
हम सभी जानते हैं कि भारत एक बहु जनसंख्या देश है जिसके कारण हमें कई समस्याओ का सामना करना होता है। जब से हमारा देश आजाद हुआ है तो हमारे पास आजादी पर गर्व करने के अलावा और कुछ नहीं था। उस समय पर हमारा देश गरीबी, भोजन की कमी और कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा था। इन सभी समस्याओं को निपटाना या फिर खत्म करने के लिए हमारे देश के वरिष्ठ नेताओ और अधिकारियो ने कई नीतियां बनाई।
ताकि हम विकास की ओर अग्रसर हो सके और अपने देश में तरक्की के लिए नए-नए तरीका ढूंढ सके। इन सभी समस्याओं के समाधान और विकास के लिए हमें एक दीर्घकालीन नीति बनाने की जरूरत थी, जिसे नियोजन कहते हैं। और यदि इसमें आर्थिक संरचना को भी शामिल कर लिया जाए तो यह एक आर्थिक नियोजन (Aarthik Niyojan) जाता है। तो आज की हम इस आर्टिकल में आर्थिक नियोजन के बारे में जानेंगे! आर्थिक नियोजन क्या होता है? तथा इसकी क्या विशेषताएं होती हैं? और इससे हम क्या क्या लाभ उठा सकते हैं?
आर्थिक नियोजन क्या है? (Arthik Niyojan kya hai?)
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सरकार, भविष्य को ध्यान में रखते हुए कुछ ऐसी नीतियां बनती है जो की एक लंबे समय तक देश या फिर राज्य के हित में हो तथा इन नीतियों से देश के संसाधनों अनुकूलतम प्रयोग के साथ-साथ जरूरत के कार्यक्रम को भी पूरा किया जा सके। देश में चल रही समस्याओं के समाधान के लिए अर्थव्यवस्था को सक्षम रखकर जो नीतियां बनाई जाती है तथा इन नीतियों से जो दीर्घकालीन फायदे होते हैं उसे आर्थिक नियोजन कहते हैं।
हम लोग जानते हैं कि सरकार लंबे समय के लिए कुछ नीतियां बनती है जिसमें बह कई वर्षो तक होने वाले सुधरो को तथा उनमें खर्च होने वाले धन की संरचना प्रस्तुत करते हैं। जिसमें योजनाकार आवश्यक संसाधनों के प्रबंध का स्रोत तथा व्यवस्था के लिए उचित योजना बनाते हैं जो कि लंबे समय तक फायदे मंद साबित हो।
जब संसाधनों को पूरा करने के लिए कोई योजना बनाई जाती है तो उसको व्यवस्थित ढंग से संचालन के लिए आर्थिक मदद की जरूरत होती है, जो सरकारें प्रदान करती हैं तथा यह सुनिश्चित करती हैं कि यह संसाधन लंबे समय तक बिना किसी त्रुटि के चला रहे, जो कि देश में लोगों की समस्याओं के समाधान में उचित साबित हो सके।
भारत में आर्थिक नियोजन (Bharat me aarthik niyojan)
हम सब जानते हैं, कि जब भारत आजाद हुआ था तो भारत की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। भारत गरीबी तथा कई अन्य समस्याओं से जूझ रहा था। ऐसे में हमें कोई एक ऐसी नीति बनाने की आवश्यकता थी, जो कि लंबे समय तक हमारे देश में फायदेमंद साबित हो। इन्ही समस्याओं से बचने के लिए तत्कालीन सरकार ने 1951 में एक पंचवर्षीय योजना को अपनाया जो एक दीर्घ समय तक कार्य गर नीति थी।
इस पंचवर्षीय योजना में काफी योजनाओं को सम्मिलित किया गया था जो कि हमारे देश के लोगों को लाभ दे सकें तथा इसके बाद अगली पंचवर्षीय योजना में, जो पुरानी त्रुटि रही हो उनका भी इस पंचवर्षीय योजना में समाधान करना और नई योजनाओं को सम्मिलित करना, यह अगली पंचवर्षीय योजना में किया गया था। इसी प्रकार से भारत में अब तक कई पंचवर्षीय योजनाएं आ चुकी है जो की भारत को विकास की ओर अग्रसर करने में काफी मदद करती है।
आर्थिक नियोजन की विशेषताएं क्या है? ( aarthik niyojan ki kya Visheshtaye hai?)
आर्थिक विश्व नियोजन की विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं-
- पूर्ण निश्चित होते थे।
- इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक योजना तैयार की जाती थी।
- आय से प्राप्त धन के प्राप्त के लिए अर्थव्यवस्था में विभिन्न निर्णय लिए जाते थे तथा नियंत्रित किया जाता था।
- आर्थिक नियोजन में लोगों के सहयोग से आवश्यकता होती है।
- आर्थिक नियोजन एक निरंतर चलने वाली दीर्घकालीन प्रक्रिया है।
भारत में आर्थिक नियोजन का क्या उद्देश्य है? (Bharat me aarthik niyojan ka kya udhhesya hai?)
भारत में कई सामाजिक, आर्थिक समस्याएं हैं जिनको ध्यान में रखते हुए आर्थिक नियोजन के लिए कुछ उद्धेश्य इस प्रकार हैं-
- आर्थिक समृद्धि।
- रोजगार में वृद्धि।
- आय की विषमताओं में कमी।
- गरीबी में कमी।
- अर्थव्यवस्था का आधुनिकरण।
- सामाजिक न्याय तथा समानता को सुनिश्चित करना।
इनमें कुछ को नीचे विस्तारित किया गया है-
आर्थिक समृद्धि
आर्थिक समृद्धि से अभिप्राय है कि भारत के प्रत्येक व्यक्ति/परिवार या फिर समाज को उच्च स्तरीय जीवन व्यतीत करने के लिए प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय दोनों बढ़ानी होगी। क्योंकि यदि व्यक्ति की आय में वृद्धि होती है तो देश के लोगों की आर्थिक स्थिति अधिक मजबूत होगी, जिससे देश के बेहतर विकास में मदद मिलेगी। हमारे देश के लोगों की प्रति व्यक्ति आय बड़े और प्रत्येक व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए वस्तुएं आसानी से खरीद सकेगा। और अच्छी सेवाओं का आनंद ले सकेगा।
यदि हमारे देश में उत्पादन का स्तर तथा उत्पादन की मात्रा पहले से अधिक होगी तो हमारे यहां की प्रति व्यक्ति आय में भी अच्छी वृद्धि देखने को मिलेगी। यदि कोई देश अपनी आर्थिक समृद्धि चाहता है तो उसे चाहिए कि वह अपने देश में बाहरी निवेश लाए और अच्छी परियोजनाएं जैसे- सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह और दूर संचार आदि का निर्माण करें तथा बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराये ताकि व्यापार में वृद्धि और आसानी हो और जिससे सरकार भी अच्छा मुनाफा ले पाए। जिससे कि हमारा देश में आर्थिक समृद्धि की ओर अग्रसर हो।
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रोजगार में वृद्धि
भारतीय अर्थव्यवस्था की योजनाकारों में रोजगार को पंचवर्षीय योजना में प्रमुख उद्देश्य रखा है। क्योंकि यदि देश के नागरिकों को रोजगार ही नहीं मिलेगा तो वह देश तरक्की की ओर नहीं बढ़ेगा। और यदि देश के लोगों को रोजगार नहीं मिलेगा तो बो लोग अपने जीवन यापन करने के लिए चोरी डकैती और कई गैर कानूनी कार्य करना शुरू कर देंगे।
आज के समय में हमने देखा है कि एक पढ़े-लिखे व्यक्ति को भी रोजगार नहीं मिल पा रहा है जो कि वास्तव में एक बड़ी समस्या है। अतः एक देश की तरक्की में रोजगार में वृद्धि होना एक महत्वपूर्ण तथ्य है। क्योंकि अगर रोजगार होगा तो मैं देश अच्छी तरह की कर पाएगा क्योंकि कई लोगों के समूह से एक देश बनता है और इन्हीं लोगों से देश की तरक्की होती है।
आई की विषमताओं में कमी
भारत एक बहुसंख्यक देश है जिसमें कई जाति धर्म के लोग रहते हैं। ऐसे में हमारे देश भारत में लोग कई श्रेणी में वटे हुए हैं इसमें एक उच्च वर्गीय समाज और एक निम्न वर्गीय समाज भी आता है। जो लोग अपने खाने के लिए भी पैसा जुटा पाते वह निम्न वर्गीय समाज में आते हैं। पाए दूसरा वर्ग उच्च वर्गीय समाज जो कि अधिक आय वाले लोग होते हैं।
लेकिन इन सब में देखा जाए तो महिलाओं की आय तो बहुत ही काम है अगर सामाजिक दृष्टिकोण से देखें तो अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों भारतीय समाज में बहुत ही निम्न वर्ग से संबंध रखती हैं और यह विकास सूची स्तंभ में सबसे नीचे स्तर पर आते हैं। तथा समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए योजना कार्यो ने विषमता में कमी को एक प्रमुख उद्देश्य रखा और इसके लिए उचित मापदंड बनाए गए जिससे आय की विषमता दूर की जा सके।
गरीबी में कमी
भारत में आर्थिक नियोजन का एक प्रमुख उद्देश्य गरीबी में कमी लाना भी था। जब हमारा देश आजाद हुआ था तो लगभग 50% लोग गरीबी रेखा में आते थे और यदि हम आज के समय की बात करें तो अभी भी भारत में काफी लोग गरीबी रेखा के नीचे आते हैं। भारत में आज भी बहुत से लोग ऐसे रहते हैं जो एक दिन पेट भरकर खाना भी नहीं कर पाते हैं। अच्छा इसी को ध्यान में रखते हुए गरीबी में कभी भी आर्थिक नियोजन में एक मुख्य उद्देश्य रखा गया था जो कि हमारे समाज में एक बदलाब ला सकें।
आर्थिक नियोजन की उपलब्धियां क्या हैं? ( Arthik niyojan ki uplavdhiya kya hai?)
शिक्षा में विकास
भारत में चल रहे इन पंचवर्षीय योजनाओं में योजनाकारों ने शिक्षा के विकास के लिए अधिक दीप्तिमान प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने भारत में छात्रों की शिक्षा के लिए नए-नए विद्यालय, विश्वविद्यालय तथा उच्च स्तरीय माध्यमिक विद्यालय खोले गए जिससे कि भारत के लोगों में शिक्षा के क्षेत्र में काफी विकास हुआ और यहां का समाज भी पढ़ने लिखने की ओर अग्रसर हुआ।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास
आर्थिक नियोजन के कारण भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी काफी कुछ बदलाव देखने को मिले पहले के समय में जब विकसित देश ही अंतरिक्ष के बारे में ज्ञान रखते थे तथा आर्थिक नियोजन के बाद हमारे देश के लोगों मे भी ज्ञान अर्जित हुआ और यहाँ के लोगों को अंतरिक्ष के बारे में जानकारी हुई जिन्होंने अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में धीरे-धीरे काफी नए-नए कीर्तिमान रचे। लेकिन आज के समय की बात करें हम तो हमारा देश अंतरिक्ष क्षेत्र में दुनिया भर में बहुत प्रसिद्ध है। भारत की स्पेस एजेंसी का नाम इसरो (ISRO) है जो कि आज के समय में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई हुई हैं।
विदेशी व्यापार का विस्तार
जब हमारा देश आजाद हुआ था तब भारत के लोगों ने भारत की पूंजीगत वस्तुओं के आयात पर निर्भर थे। उसके बाद कुछ ऐसी नीतियां लाई गई जिससे वस्तुओं को अपने देश में ही बनना शुरू कर दिया या फिर उनका उत्पादन शुरू कर दिया। जिससे हमारे देश में औद्योगिक उन्नति के कारण अब भारत में ही निर्मित करने लगा तथा दूसरे देशों को भी माल का निर्यात करने में भी योग हो गया है। आज के समय में भारत के वैज्ञानिक तथा इंजीनियर देश विदेश में बड़ी-बड़ी कंपनियों में एक अच्छा कीर्तिमान स्थापित किए हुए हैं जो कि इस देश की मजबूती को दर्शाता है।
आधारिक संरचना का सृजन
आधारिक संरचना का सृजन से तात्पर्य है कि भारत में सड़कों तथा रेलवे के जालों का विस्तार हुआ तथा घरेलू वायु यात्रा में महत्वपूर्ण ढंग से वृद्धि हुई सिंचाई पर जल विद्युत परियोजनाओं में कृषि के उत्पादन को भी बढ़ावा मिला। शहरी आधारिक संरचना में वृद्धि होने के साथ- साथ कस्बो तथा शहरों की स्थापना में वृद्धि हुई। और धीरे-धीरे हमारा देश में मोबाइल एवं इंटरनेट विस्तार हुआ और आज के समय में तो हमारा देश इंटरनेट के मामले में इतना आगे हो गया है कि दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर हमारे देश में है जो की एक दिन में सबसे ज्यादा डाटा उपयोग करते हैं।
Arthik Niyojan kya hai Related FAQ
भारत में आर्थिक नियोजन का क्या महत्व है?
आर्थिक नियोजन का मुख्य उद्देश्य है कि समाज में चल रही विभिन्न वर्गों की आय तथा संपत्ति में जो असमानताएं हैं उन्हें काम करना तथा आर्थिक नियोजन के माध्यम से संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करके उत्पादन तथा आय और रोजगार में वृद्धि लाना तथा इससे संबंधित नई अबसर को प्रस्तुत करना है।
भारत में आर्थिक नियोजन से क्या लाभ हुए?
प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, शिक्षा के क्षेत्र में विकास, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास नए-नए उत्पाद, गरीबी में कमी देश के लोगों की बेहतर जिंदगी के लिए उठाए कदम! ये सभी आर्थिक नियोजन के लाभ हैं।
आर्थिक नियोजन की समस्याएं क्या है?
भारत में आर्थिक नियोजन के लिए प्रति पंचवर्षीय योजनाएं लागू की गई जो की 5 साल तक चलती है और हर 5 साल बाद एक नई पंचवर्षीय योजना लाई जाती है जिसमें पुरानी पंचवर्षीय योजना में जो कमी होती है उनमें बदलाव किया जाता है और नई-नई योजनाओं का सम्मिलित किया जाता है।
आर्थिक नियोजन का जनक कौन है?
भारत में आर्थिक नियोजन की शुरुआत कर एम विश्वसरिया ने 1934 में की थी।
भारत में अब तक कितनी पंचवर्षीय योजनाएं लागू हो चुकी है?
2022 तक 13 पंचवर्षीय योजनाएं लागू की जा चुकी है जिसमें सामाजिक न्याय, गरीबी हटाना, पूर्ण रोजगार और आधुनिकीकरण मुख्य मुद्दे रहे हैं।
भारत में पहली पंचवर्षीय योजना कब लागू हुई?
भारत में पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में लागू हुई थी।
आर्थिक नियोजन को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?
आर्थिक नियोजन को अंग्रेजी में इकोनामिक प्लैनिंग (Economic Planning) कहते हैं।
भारत में आर्थिक नियोजन के कितने वर्ष हैं?
आर्थिक नियोजन की एक सबसे बड़ी समस्या जनसंख्या वृद्धि है, क्योंकि अधिक जनसंख्या देश के विकास में एक महत्वपूर्ण विकृति उत्पन्न कर रही है दूसरी एक बड़ी समस्या है कि देश के लोगों में अभी भी तकनीकी तथा विज्ञान को लेकर ज्ञान का अभाव इसका एक बड़ा उदाहरण है कि लोगों में अंधविश्वास बहुत हद तक है।
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल पर हमने आर्थिक नियोजन के बारे में जाना है तथा इससे भारत में क्या-क्या प्रभाव हुए इसके क्या उपलब्धियां तथा इसकी क्या विशेषताएं थी? इसके क्या उद्देश्य थे? इन सारी विषयों पर हमने जानकारी प्राप्त की पर इस जानकारी से हमें ज्ञात होता है कि यदि आर्थिक नियोजन नहीं होता तो हम किन-किन चीजों के अभाव में रह जाते और इसके वजह से हमें क्या-क्या उपलब्धियां प्राप्त हुई। तो आशा करते हैं आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा पर यदि यह जानकारी पसंद आई हो तो फिर से शेयर करें। ऐसी ही जानकारी के लिए यहाँ प्राय: जांच करें।