अगर आप दूध से रिलेटेड कोई भी कारोबार करते हैं तो दूध गंगा योजना आपके लिए काफी ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि कुछ लोग ऐसे हैं जो कि दूध का कारोबार तो करते हैं लेकिन उसे आगे बढ़ाने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते तो इस योजना के तहत जो भी व्यक्ति दूध का कारोबार करता है उसे काफी अच्छी सहायता मिलने वाली है।
क्या आपने इस योजना के बारे में पहले कभी सुना है? अगर नहीं तो आज के इस आर्टिकल को पढ़कर आप यह जानने वाले हैं, कि दूध गंगा योजना क्या है? और यह योजना किसके लिए है? साथ ही साथ यह योजना किसके द्वारा दी जाती है? इसके क्या-क्या लाभ व उद्देश्य है? इनसे लोगों को कितना लाभ हुआ है? साथ ही साथ इस योजनाओं से जुड़ी अन्य जानकारी भी हम इसी आर्टिकल में आपको बताने वाले हैं अगर आप भी इस योजना के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारे आज के इस आर्टिकल को ध्यान से और पूरा पढ़ें।
दूध गंगा योजना क्या है?
जैसे कि सरकार द्वारा दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की योजनाओं को लागू करती रहती है, उसी में से एक है दूध गंगा योजना। जिसका उद्देश्य दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना है।
इस योजना के तहत उन किसानों को जो दूध उत्पादन का व्यवसाय करते हैं, उन्हें इस योजना के अंदर तीस लाख रुपय तक का सब्सिडी युक्त लोन सरकार द्वारा दिया जाता है। जिससे कि वह अपने दुग्ध उत्पादन के व्यवसाय में बढ़ोतरी कर सकें।
दूध गंगा योजना की शुरुआत
इस योजना की शुरुआत हिमाचल प्रदेश के राज्य सरकार द्वारा पशुपालन विभाग ने सन 2010 में की गई थी। इस योजना को भारत सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से डेयरी उत्तम योजना के रुप मे राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक द्वारा प्रारंभ किया गया था।
दूध गंगा योजना का नाम वर्तमान समय में बदलकर डेयरी एंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट स्कीम रख दिया गया है। जिसमें सरकार द्वारा दुग्ध उत्पादन करने वाले किसानों को ऋण पर ब्याज नहीं देना पड़ता तथा उन्हें सरकार द्वारा उत्पादन पर छूट भी दी जाती है।
दूध गंगा योजना के फायदे
इस योजना के आने से ऐसे किसान जो दुग्ध उत्पादन का व्यवसाय करते हैं उनको बहुत सारे लाभ हुए हैं, जैसे कि वह अपने छोटे स्तर के व्यवसाय को बड़े स्तर पर फैला सकते हैं, जिससे उनको भी अधिक लाभ होगा तथा दुग्ध उत्पादन भी ज्यादा से ज्यादा हो सकेगा।
जो छोटे-छोटे किसान पैसों की कमी के कारण उच्च किस्म की गायों को खरीद नहीं सकते थे, अब वह भी उसे खरीद सकते हैं और अपने छोटे व्यवसाय को बड़ा कर सकते हैं।
जैसा कि हमने आपको बताया कि इस योजना के अंतर्गत किसानों को दिया जाने वाले लोन पर किसी भी प्रकार का ब्याज नहीं लिया जाता है इस कारण अब दुग्ध व्यवसाय करने वालों को ब्याज की चिंता नहीं करनी होगी जिससे उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने में आसानी होगी। साथ ही साथ अगर कोई किसान अपने राज्य में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाना चाहता है तो वह इस योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकता है।
दूध गंगा योजना के उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि देश में दुग्ध उत्पादन जितना अधिक हो सके उतना ज्यादा बढ़ाना तथा छोटे दुग्ध उत्पादन करने वाले किसानों का आर्थिक विकास करना। जिससे वह अपने छोटे स्तर के व्यापार को बड़े स्तर तक पहुंचा सकें। इस योजना के तहत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष दुग्ध उत्पादन की मात्रा 350 लाख लीटर रखी गई है।
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दूध गंगा योजना हेतु पात्रता एवं मानदंड
दूध गंगा योजना का लाभ लेने के लिए किसानों के लिए कुछ पात्रता व मानदंड सरकार द्वारा बनाई गई है। यह पात्रता मानदंड होने के बाद ही वह इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकेंगे, अन्यथा नहीं। वह पात्रता एवं मानदंड निम्न है
- दूध गंगा योजना का लाभ छोटे किसानों और पशुपालकों को ही दिया जाएगा बड़े किसानों को नहीं।
- अगर कोई किसान या पशुपालक भारत का मूल निवासी है तभी वह इस योजना का पूर्ण लाभ ले पाएगा अन्यथा उसे इस योजना का कोई लाभ नहीं मिलेगा।
- अगर कोई किसान किसी भी चीज के लिए पेंशन प्राप्त कर रहा है तो वह इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त नहीं कर सकता।
- एक किसान इस योजना के माध्यम से सिर्फ एक बार ही लोन की राशि को प्राप्त कर सकता है दोबारा नहीं।
- सभी किसानों के इस योजना में आवेदन करने के पश्चात, सभी किसानों की पात्रता मानदंड के लिए सत्यापन करने के बाद ही उन्हें इस योजना का लाभ मिल पाएगा।
दूध गंगा योजना में आवेदन करने हेतु आवश्यक दस्तावेज
दोस्तों आपको इस बात की जानकारी होना जरूरी है कि दूध गंगा योजना के लिए आवेदन करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी, तो हम आपको बताते हैं कि मुख्य तौर पर आपको किन-किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है जैसे कि-
- आधार कार्ड
- जन्म प्रमाण पत्र
- जाति प्रमाण पत्र
- निवास प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट साइज की फोटोस
- पहचान प्रमाण पत्र
- पैन कार्ड
- बैंक के पासबुक की पूर्ण जानकारी, आदि
और अगर इनके अलावा भी आपसे कुछ और दस्तावेज मांगे जाए तो वह भी आपको दे देने हैं क्योंकि हमने जो आपको दस्तावेज बताए हैं इनकी आपको मुख्य तौर पर जरूरत पड़ती है, लेकिन हो सकता है कि उन्हें अगर किसी और दस्तावेज की भी जरूरत हो तो वह उसकी भी मांग कर सकते हैं।
दूध गंगा योजना के लिए आवेदन कैसे करें
अगर कोई किसान इस योजना का लाभ लेना चाहता है तो उसे इस योजना से जुड़ने के लिए सबसे पहले आवेदन करना होगा, और उसे आवेदन करने के लिए इन प्रक्रियाओं से गुजरना होगा जो कि निम्न है
Step.1:-योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं
इस योजना पर आवेदन करने हेतु आपको सबसे पहले अपने किसी भी ब्राउज़र या सर्च इंजन पर जाकर इस योजना के अधिकारी वेबसाइट http://hpagrisnet.gov.in पर जाना होगा, इसके लिए आप सर्च बार पर इस योजना का नाम लिखकर इसकी वेबसाइट पर जा सकते हैं।
Step.2:-आवेदन फॉर्म ऑप्शन पर क्लिक करना
जैसे ही आप वेबसाइट के होम पेज पर जाते हैं तो आपको ऊपर में सामने की ओर ही आवेदन करने हेतु आवेदन फॉर्म ऑप्शन मिल जाता है आपको उस पर क्लिक करना है क्लिक करने के बाद आप दूसरे पेज पर रीडायरेक्ट हो जाएंगे।
Step.3:-अपनी व्यक्तिगत जानकारियां देना
दूसरे पेज पर आने के बाद आपको वहां पर आवेदन फॉर्म मिलेगा जिसमें आपको अपनी व्यक्तिगत जानकारियां फिल करनी है जैसे पहचान प्रमाण पत्र, पैन कार्ड नंबर, मोबाइल नंबर, स्थाई पता आदि।
Step.4:-नेक्स्ट बटन पर क्लिक कर फॉर्म सबमिट करना
अपनी सारी जानकारियां फॉर्म में भरने के बाद आपको नीचे में दिए नेक्स्ट ऑप्शन पर क्लिक करना है जैसे ही आप नेक्स्ट बटन पर क्लिक करते हैं आपका इस योजना के लिए आवेदन फॉर्म सबमिट हो जाता है उसके बाद आप इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
FAQs
अगर आपके मन में भी दूध गंगा योजना से रिलेटेड कोई भी सवाल है तो इस पॉइंट को पढ़ने के बाद आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिलने वाले हैं क्योंकि इस पॉइंट के अंदर हम कुछ ऐसे सवालों पर चर्चा करेंगे जो कि लगभग हर एक व्यक्ति के मन में होते हैं या फिर हर एक व्यक्ति उन सवालों को पूछना चाहता है लेकिन ज्यादातर लोगों को अपने उन सवालों के जवाब नहीं मिलने के कारण निराशा का सामना करना पड़ता है, लेकिन अगर आप इस पॉइंट को अच्छे से पढेंगे तो आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे।
Doodh Ganga Yojana की शुरुआत कब हुयी ?
2010 में दूध गंगा योजना की शुरुआत की गई थी।
दूध गंगा स्कीम को किसके द्वारा शुरू किया गया है ?
जिन लोगों का दूध का कारोबार था और वे उसे आगे बढ़ाने में असमर्थ थे, उन लोगों की मदद करने के लिए हिमाचल प्रदेश की सरकार ने दूध गंगा स्कीम को लागू किया था।
दूध गंगा योजना के माध्यम से किसान कितना ऋण प्राप्त कर सकेंगे?
दूध गंगा योजना के तहत किसानों को तीन लाख रुपे` तक का ऋण मिल सकता है जिससे कि वह अपने बिजनेस को आगे बढ़ा सकें।
Conclusion:-
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको दूध गंगा योजना के बारे में बताया। उम्मीद है आपको आज का यह आर्टिकल पसंद आया होगा, और आपको आपकी आवश्यकता की सारी जानकारी इससे मिल गई होगी। अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे अन्य लोगों के पास शेयर जरूर करें जिससे अन्य लोगों को भी इस योजना के बारे में जानकारी मिल सके।