किसान कृषि बिल क्या है: कृषि विधेयक 2024 | Agriculture Farm Bill PDF, Kisan Bill,Farmers Bill 2024 (Empowerment & Protection) PDF – Yojana Application Form

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Kisan Bill 2024 PDF Download:- आज के समय में हर कोई किसान बिल (farmers bill 2024 pdf hindi) के विषय में जानना चाहता है। कियुँकि जब से यह बिल सरकार द्वारा लाया गया है। इसका विरोध भी देखा जा रहा है और समर्थन भी तो लोगो को समझने में दिक्क्त हो रही है की kya hai kisan bill 2024 और यह बिल किसान के लिए लाभदायक है या नहीं। तो आईये आज हम आपको नया किसान बिल (कृषि कानून 2024 pdf) से जुडी सभी जानकारी देते हैं। सबसे पहले आपको बता दें की new kisan bill kya hai भारतीय संसद ने तीन कृषि अधिनियमों को पारित किया- किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2024, मूल्य आश्वासन, कृषि सेवा अधिनियम, 2024, और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2024 का किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता। 17 सितंबर, 2024 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर वाले विवादास्पद बिलों को विपक्षी पार्टी के नेताओं और किसान समूहों द्वारा एक ही हंगामे के बीच पारित किया गया था।

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यह मोदी सरकार द्वारा किया गया एक बड़ा संरचनात्मक परिवर्तन है। यह विचार किसानों के लिए आकर्षक बनाने के लिए कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में कॉर्पोरेट निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए है।कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा किसान बिल को पेश किया गया। आपको बतादें Farmers Bill 2024 पर बहस ने प्रकाश से अधिक गर्मी उत्पन्न की है। पंजाब और हरियाणा के किसान सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्ष ने इसे “कॉरपोरेट हितों को बेचना” कहा है, तो आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बताएंगे की कृषि बिल क्या हैं और किसान इसका विरोध क्यों कर रहें हैं साथ हम आपको किसान बिल 2024 पीडीएफ डाउनलोड/ krishi kanoon 2024 pdf/farmers bill 2024 pdf download करने के लिए लिंक भी प्रदान करेंगे। और आपको यह farmers bill 2024 in hindiकृषि विधेयक, 2024 मराठी pdf (krishi bill 2024 in marathi pdf), farm bill 2024 pdf in punjabi आदि भाषाओ में प्राप्त हो जायेगा।

किसान बिल क्या हैं/What is Farmer Bill?

आज भी कई लोगों के मन में सवाल है की naya kisan bill kya hai ? तो आपको बता दें की हाल ही में केंद्र सरकार ने किसान बिल के तहत कृषि सुधारों को लेकर तीन अहम विधेयक पास कराए। जो निम्न प्रकार से हैं –

  • किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक / Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill
  1. किसानों के व्यापार क्षेत्रों का दायरा चुनिंदा क्षेत्रों से लेकर “उत्पादन, संग्रह और एकत्रीकरण के किसी भी स्थान” तक फैला हुआ है।
  2. अनुसूचित किसानों की इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग और ई-कॉमर्स की अनुमति देता है।
  3. राज्य सरकारों को किसानों, व्यापारियों और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म पर किसी भी बाज़ार शुल्क, उपकर या लेवी पर किसानों के उत्पाद के व्यापार के लिए trade बाहरी व्यापार क्षेत्र में आयोजित ’पर प्रतिबंध लगाने से रोकता है।
  • किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) विधेयक मूल्य आश्वासन / Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance
  1. मूल्य निर्धारण का उल्लेख सहित खरीदारों के साथ पूर्व-व्यवस्थित अनुबंध में प्रवेश करने के लिए किसानों को एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
  2. एक विवाद समाधान तंत्र को परिभाषित करता है।
  • सेवा विधेयक और आवश्यक वस्तुएं (संशोधन) विधेयक / Services Bill and Essential Commodities (Amendment) Bill
  1. खाद्य पदार्थों जैसे अनाज, दालें, आलू, प्याज, खाद्य तिलहन और तेल को हटाता है, आवश्यक वस्तुओं की सूची से, “असाधारण परिस्थितियों” को छोड़कर ऐसी वस्तुओं पर स्टॉकहोल्डिंग सीमा को हटा देता है।
  2. आवश्यकता है कि कृषि उपज पर किसी भी स्टॉक सीमा को लागू करना मूल्य वृद्धि पर आधारित हो।

New Update :किसान बिल पर वार्ता: छठे दौर की बातचीत

किसान बिल (Farmers Bill 2024) के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा बीते कई दिनों से विरोध प्र्दशन चल रहा है। विरोध का समर्थन विपक्ष की पार्टियां भी कर रही हैं। कृषि किसान बिल (Agricultural Bill 2024) के विरोध में 8 दिसंबर को भारत बंद किया गया। इसका सरकार के फैसले पर क्या असर होता है। यह तो 9 दिसंबर की छठे दौर की बातचीत के बाद ही पता चलेगा। आपको बता दें अभी तक सरकार और किसानों के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन सरकार और किसान दोनों ही  अपने-अपने रुख पर अड़े रहे। अभी तक की वार्ता में सरकार ने किसान नेताओं से कहा कि MSP जारी रहेगी। लेकिन यदि फिर भी किसी के मन में शंका है तो उसका निवारण किया जायेगा।

New Update: कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन में क्या फैसला आया

Farmers Protest 9 December 2024 Updates => नए कृषि कानूनों / new kisan bill 2024 के विरोध में किसान संगठनों व विपक्ष के द्वारा मंगलवार को बुलाया गया भारत बंद शांतिपूर्ण रहा और इसका देशव्यापी असर भी देखने को मिला। वंही मंगलवार देर रात 13 किसान नेताओं ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की लेकिन इस मुलाकात में किसी प्रकार का नतीजा नहीं निकला । बैठक में किसान बिल के विरोध का हल मिलने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन किसान नेता और सरकार दोनों ही अपनी बातों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।जिसमे सरकार ने भी अपनी मंशा साफ कर दी है कि किसान कानून वापस नहीं होंगे।

We’ll strategise in our meeting & discuss their (Centre) proposal. Farmers won’t go back, it’s a matter of their respect. Will Govt not withdraw laws? Will there be tyranny? If Govt is stubborn, so are farmers. Law has to be withdrawn: Rakesh Tikait, Spox, Bharatiya Kisan Union pic.twitter.com/gcspm4YDQk

— ANI (@ANI) December 9, 2024

किसान बिल /Agriculture Farm Bill सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा

Farmer leaders at Singhu Border receive a draft proposal from the Government of India#FarmLaws pic.twitter.com/zBQuOjY3F3

— ANI (@ANI) December 9, 2024

किसान बिल विरोध: जो इन बिलों का विरोध कर रहे हैं

राजनीतिक दल, भारतीय किसान यूनियन (BKU) जैसे कृषि संगठन और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) जैसे बड़े कृषि निकाय और किसानों के कुछ वर्ग बिल का विरोध कर रहे हैं। वे कहते हैं कि ये बिल बड़े कॉरपोरेट्स को छोड़कर किसी की मदद नहीं करेंगे और किसानों की आजीविका को नष्ट कर देंगे।

किसान बिल (farmers bill) का दूसरा पहलू

ये तीन विधेयक किसानों को बिचौलियों के चंगुल से मुक्त कर सकते हैं, जिन्हें अरथिया भी कहा जाता है। पंजाब और हरियाणा, दोनों प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों की मंडियों में लाखों कमीशन एजेंट किसानों पर अपना नियंत्रण खोने और भारी राजस्व के लिए खड़े होंगे। राज्य सरकारें मंडी कर खो देंगी, उनके लिए भी राजस्व का एक बड़ा स्रोत होगा, यही वजह है कि वे बिलों का विरोध करते दिख रहे हैं।

ये कानून पुराने लोगों के साथ भी दूर नहीं करते हैं और केवल किसानों को अपनी उपज की बेहतर कीमत लेने के लिए विकल्प देते हैं। किसानों के निकायों का मानना ​​है कि नए कानून धीरे-धीरे एमएसपी (न्यूनतम समर्थन शासन) शासन को समाप्त कर देंगे, और राज्य सरकारों के तहत आने वाले एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समितियों) को राजस्व का बड़ा नुकसान होगा। उनका यह भी मानना ​​है कि अगर किसान इन कानूनों को लागू करेंगे तो किसान अपनी ही जमीन पर अधिकार खो सकते हैं।

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आर्टिकल   कृषि किसान बिल (Agricultural Bill 2024 PDF)
बिल का पूरा नाम   कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2024
नवीनतम   वर्ष 2024-21
भाषा  हिंदी / English
उद्देश्य   किसान को उत्पाद मंडी से बाहर बेचने के लिए स्वतंत्र करना
लाभार्थी   देश के सभी लघु, माध्यम और सीमांत किसान
PIB की अधिसूचना   Click Here 

kisan bill 2024 hindi pdf: देश में कृषि सुधार के लिए दो महत्वपूर्ण विधेयक लोक सभा से पारित हो गए हैं

farmer bill 2024 pdf in hindi /किसान बिल 2024 के तहत जिन विधेयक को गया उनमे पहला लोक सभा से पारित किया “कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2024’’ तथा दूसरा “कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2024’’ है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार इन विधेयकों के माध्यम से अब किसानों को कानूनी बंधनों से आजादी मिलेगी। और साथ उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा तथा राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेगी।

नया किसान बिल/kisan bill in hindi pdf के लाभ

यदि सभी किसान नया किसान बिल/कृषि विधेयक 2024 को अपना लेते हैं, तो उन्हें निम्न लाभ प्राप्त होंगे।

  • कृषि क्षेत्र में उपज खरीदने-बेचने के लिए किसानों व व्‍यापारियों को “अवसर की स्‍वतंत्रता”
    लेन-देन की लागत में कमी।
  • मंडियों के अतिरिक्‍त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, शीतगृहों, वेयरहाउसों, प्रसंस्‍करण यूनिटों पर व्‍यापार के लिए अतिरिक्‍त चैनलों का सृजन।
  • किसानों के साथ प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का एकीकरण, ताकि मध्‍स्‍थता में कमी आएं।
  • देश में प्रतिस्‍पर्धी डिजिटल व्‍यापार का माध्‍यम रहेगा, पूरी पारदर्शिता से होगा काम।
  • अंततः किसानों द्वारा लाभकारी मूल्य प्राप्त करना ही उद्देश्य ताकि उनकी आय में सुधार हो सकें।
  • रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर एंड डी) समर्थन
  • उच्च और आधुनिक तकनीकी इनपुट
  • अन्य स्थानीय एजेंसियों के साथ साझेदारी में मदद
  • अनुबंधित किसानों को सभी प्रकार के कृषि उपकरणों की सुविधाजनक आपूर्ति
  • क्रेडिट या नकद पर समय से और गुणवत्ता वाले कृषि आदानों की आपूर्ति
  • शीघ्र वितरण/प्रत्येक व्यक्तिगत अनुबंधित किसान से परिपक्व उपज की खरीद
  • अनुबंधित किसान को नियमित और समय पर भुगतान
  • सही लॉजिस्टिक सिस्टम और वैश्विक विपणन मानकों का रखरखाव।

किसान बिल 2024 पूरी जानकारी

यहां यह आपको किसान बिल 2024 / krishi bill 2024 in hindi pdf download की सभी जानकारी विस्तार से देंगे जिसमे हम आपको बताएंगे की किस विधेयक में क्या फायदे हैं और इसका बिरोध किन्यु किया जा रहा है –

कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2024 =>

इस कानून का मुख्य उद्देश्य किसानों को अपने उत्पाद नोटिफाइड ऐग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) यानी तय मंडियों से बाहर बेचने की छूट प्रदान करना है। इसका लक्ष्य किसानों को उनकी उपज के लिये प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार माध्यमों से लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना है।साथ इस विधेयक के अंतर्गत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई सेस या फीस नहीं ली जाएगी।

  • कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य विधेयक का फायदा
  1. यह किसानों के लिये नये विकल्प उपलब्ध करायेगा। जिससे किसानों को खेती करने में अधिक सहायता प्राप्त होगी।
  2. उनकी उपज बेचने पर आने वाली लागत को कम करेगा, उन्हें बेहतर मूल्य दिलाने में मदद करेगा।
  3. और विधेयक के अंतर्गत जिस राज्य में ज्यादा उत्पादन हुआ है उन क्षेत्र के किसान कमी वाले दूसरे प्रदेशों में अपनी कृषि उपज बेचकर बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे। और अच्छा मुनाफा कमा सकेंगे-
  • कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य विधेयक का विरोध

इस विधेयक का विरोध करने का मुख्य कारण है की यदि किसान अपनी उपज को पंजीकृत कृषि उपज मंडी समिति (APMC/Registered Agricultural Produce Market Committee) के बाहर बेचते हैं, तो राज्यों को किसान से मिलने वाले राजस्व का नुकसान होगा यह इस लिए की यदि किसान अपनी उपज को मंडी से बाहर बेचते हैं तो राज्य ‘मंडी शुल्क’ प्राप्त नहीं कर पायेंगे।और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, किसानों और विपक्षी दलों को यह लग रहा है की इस विधेयक से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) आधारित खरीद प्रणाली का अंत हो सकता है और निजी कंपनियों द्वारा शोषण बढ़ सकता है।

मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2024=>

इस प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत किसानों को उनके होने वाले कृषि उत्पादों को पहले से तय दाम पर बेचने के लिये कृषि व्यवसायी फर्मों, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार मिलेगा।अब किसान अपनी उपज का मूल्य तय करने को स्वतंत्र होगा।

  • किसान अनुबंध विधेयक 2024 का फायदा

इस विधेयक के आने से अब किसान की फसल में होने वाले जोखिम में खरीदार (जिनके साथ अनुबंध किया हो ) भी भागीदारी होगा। जिससे किसानो का फसल में होने वाले जोखिम की समस्या कम हो जाएगी। साथ ही किसान अनुबंध विधेयक 2024 से किसान आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट तक पहुंच बना पाएंगे। और यह कानून विपणन लागत को कम करके किसान की आय को बढ़ावा देता है।

  • किसान अनुबंध विधेयक 2024 का विरोध

इस कानून का विरोध करने वाले किसान व विपक्ष के लोगों का कहना है की इस कानून को भारतीय खाद्य व कृषि व्यवसाय पर हावी होने की इच्छा रखने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुरूप बनाया गया है। जिससे किसानों को फसल की मोल-तोल करने की शक्ति कमजोर हो जाएगी । साथ ही सभी बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर को इससे कृषि क्षेत्र में बढ़त मिल सकती है।

आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2024 =>

यह प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, प्याज और आलू जैसी कृषि उपज को युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि व प्राकृतिक आपदा जैसी ‘असाधारण परिस्थितियों’ को छोड़कर सामान्य परिस्थितियों में हटाने का प्रावधान रखा गया है। जिससे किसानों को अच्छी कीमत मिले।

  • आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक का फायदा

इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में निजी निवेश / एफडीआई को आकर्षित करने के साथ-साथ मूल्य स्थिरता लाना है। जिससे किसान अपनी उपज के लिए अच्छे दाम हाशिल कर सकता है।

  • आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक का विरोध

इस विधेयक के विरोध में किसानों व विपक्षियों का कहना है की यदि अनाज, दाल, तिलहन, खाने वाला तेल, आलू-प्‍याज को जरूरी चीजो की लिस्ट से हटाया जायेगा तो बड़ी कंपनियों को इन कृषि उपजों के भंडारण की छूट मिल जायेगी, जिससे वे किसानों पर अपनी मर्जी चला सकेंगे।जिससे की किसानो को कई दिक्क्तों का सामना करना होगा।

किसान बिल से जुड़ी मुख्य बातें

  • 26 नवंबर के बाद से, पंजाब और हरियाणा के किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी की घेराबंदी कर दी है। वे हाल ही में पारित फार्म विधेयकों का विरोध कर रहे हैं
  • ये बिल किसानों को सीधे कॉर्पोरेट्स को उपज बेचने की अनुमति देने के लिए रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं, केंद्र का तर्क है
  • किसानों को डर है कि यह उनके पैरों के नीचे से MSP सुरक्षा जाल को खींचने का एक बहाना हो सकता है

किसानों का किसान बिल/ Kisan Bill 2024 के बारे में संदेह

किसान अपनी उपज के लिए एमएसपी प्राप्त करने के लिए आशंकित हैं, इसके बावजूद सरकार से आश्वासन नहीं। किसानों को यह भी डर है कि बड़े खुदरा व्यापारी और कॉर्पोरेट घराने (बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ गठजोड़) भारतीय कृषि पर धन बल से हावी हो सकते हैं। विडंबना यह है कि कई अरहटिया बड़े किसान हैं जो अपना कमीशन और ब्याज आय खो देंगे।

किसानों को डर है कि यदि वैकल्पिक प्लेटफॉर्मों के लिए व्यापार पर्याप्त रूप से चलता है तो एपीएमसी अविभाज्य हो सकता है और इसे बंद करना पड़ सकता है। एक सादृश्य देने के लिए, किसानों को उम्मीद है कि मंडियां बीएसएनएल और एमटीएनएल की तरह निरर्थक हो जाएंगी और जियो और भारती की पसंद को फायदा हो सकता है।

जानिए कृषि विधेयक के संबंध में फैलाए जा रहे भ्रमों की सच्चाई (1/8) pic.twitter.com/Q0kZVclHND

— PIB in Rajasthan (@PIBJaipur) November 30, 2024

एमएसपी क्या है और किसान नए किसान बिल /Kisan Krishi Bill 2024 कानूनों का विरोध क्यों कर रहे हैं?

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसा कि नाम से पता चलता है वह मूल्य है जो सरकार किसानों से सीधे खरीदने के लिए कृषि उत्पाद मूल्य पर निर्धारित करती है। कृषि उत्पाद पर एमएसपी दर किसान को फसल के लिए न्यूनतम लाभ के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करती है, क्योंकि खुले बाजार में लागत की तुलना में कम कीमत होती है।

Kisan Krishi Bill 2024 कानूनों का विरोध

सरकार द्वारा लाये गए तीन नए तीन कृषि बिलों/ Three Agriculture Bills का विरोध निम्न शंकाओं से कर रहें हैं –

  • सरकार द्वारा निर्धारत किया गया न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अनाज की ख़रीद बंद हो जाएगा।
  • किसान फसल को मंडी से बहार बेचता है तो एपीएमसी मंडियां समाप्त हो जाएंगी।
  • ई-नाम जैसे सरकारी ई-ट्रेडिंग पोर्टल का क्या होगा?
न्यूनतम समर्थन मूल्य कैसे तय किया जाता है?

सरकार राज्य सरकारों और केंद्रीय मंत्रालयों / विभागों के संबंधित और अन्य संबंधित कारकों के विचारों पर विचार करने के बाद, कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर 22 अनिवार्य कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSPs) को निर्धारित करती है। MSP पूरे देश के लिए निर्धारित किया जाता है न कि क्षेत्र या राज्य विशेष के लिए।

एमएसपी की सिफारिश करने से पहले किन कारकों पर विचार किया जाता है?

एमएसपी की सिफारिश करते समय, सीएसीपी विभिन्न कारकों पर विचार करता है। उत्पादन की लागत, घरेलू और दुनिया के बाजारों में विभिन्न फसलों की समग्र मांग-आपूर्ति की स्थिति, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कीमतें, अंतर-फसल मूल्य समता, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र के बीच व्यापार की शर्तें, शेष अर्थव्यवस्था पर मूल्य नीति का संभावित प्रभाव और उत्पादन लागत पर मार्जिन के रूप में न्यूनतम 50 प्रतिशत।

रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य लिस्ट 2024-22

MSP 2024-22 – Minimum Support Price for Rabi Crops: वर्ष 2024–22 के रबी मौसम हेतु देश भर के किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी कर दिया गया है। जिसकी सूचि निम्न प्रकार से है-

फसलें   गेहूं   जौ    चना  मसूर    सरसों   कुसुम
न्यूनतम समर्थन मूल्य 2024- 21   1925 1525 4875 4800 4425 5215
न्यूनतम समर्थन मूल्य 2024-22   1975 1600 5100 5100 4650 5327
उत्पादन का लागत   960 971 2866 2864 2415 3551
  एमएसपी में वृद्धि (रूपये / प्रति क्विंटल)   50 75 225 300 225 112
लागत के ऊपर मुनाफा प्रति क्विंटल  106 65 78 78 93 50

किसान कृषि बिल 2024 पीडीएफ इन हिंदी डाउनलोड करें

यहां हम आपको Kisan Krishi Bill 2024 PDF in Hindi डाउनलोड करने के लिए लिंक प्रदान कर रहें हैं। आप इस लिंक के माध्यम से आसानी से new kisan bill 2024 in hindi pdf / Agriculture Farm Bill PDF डाउनलोड कर सकते हैं।

KISAN BILL 2024 PDF DOWNLOAD

new kisan bill 2024 pdf: Kisan Bharat Bandh

भारत की राष्ट्रीय राजधानी में किसान विरोध ने विश्व स्तर पर भी काफी हलचल पैदा की है। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि किसान क्या विरोध कर रहे हैं। और 8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद का एलान भी किया है। तो आईये जानते हैं ये भारत बंद किसानो की मांग पूरी करवाने में कारगर होगा या नहीं।

Kisan Bharat Bandh 8 December New Updates

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों (farmer bill 2024) के खिलाफ किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन 13वें दिन भी जारी है। इसके साथ ही किसानों ने विरोध किसान बिल के विरोध में भारत बंद कर दिया है। किसानों के भारत बंद को कांग्रेस के कई बड़ी पार्टियों ने अपना समर्थन दिया है। जिसमे बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कार्यकर्ताओं ने भी Batat Bandh को अपना समर्थन दिया। और वंही सुबह से ही तेलंगाना में भी Bharat Bandh का असर दिखने लगा है,यहां सड़क परिवहन निगम के कर्मचारी सड़क पर उतरे और किसान बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने लगे। इसी प्रकार अन्य राज्यों में भी किसान भारत बंद का असर दिखाई दिया। जिसमे –

  • दिल्ली बॉर्डर में 13वें दिन विरोध प्रदर्शन जारी रहा।
  • आंध्र प्रदेश में वामपंथी राजनीतिक दल भी केंद्र सरकार के Kisan Bill 2024 /Farm Laws के खिलाफ किसान Bharat Bandh के समर्थन में उतरे।
  • वंही आडिशा में लेफ्ट पार्टियों ने, ट्रेड यूनियन और किसान यूनियन ने भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों को रोक दिया।
  • महाराष्ट्र में स्वाभिमानी शेतकारी संगठन ने ‘भारत बंद रेल रोको’ विरोध प्रदर्शन किया, जिसके चलते पोलिस ने लोगों को पटरियों से हटाया और हिरासत में ले लिया।

भारत बंद में बंद से किसको छूट और क्या रहेगा पूर्ण रूप से बंद

8 दिसंबर को भारत बंद का एलान किसानो द्वारा किया गया है। जिसमें कांग्रेस सहित करीब 24 विपक्षी पार्टियों ने भारत बंद का समर्थन किया है। जिसके चले पुरे भारत में सब्जी, दूध व कुछ अन्य खाद्य पदार्थ की आपूर्ति पुरे दिन ठप रहेगी। वंही शादी-विवाह के समारोह को बंद से मुक्त रखा गया है पर इसके अलावा एंबुलेंस को भी छूट रहेगी।

मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2024

मूल्य आश्वासन और फार्म सेवा अध्यादेश 2024 पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता, इस अध्यादेश के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार है –

  • फार्मिंग एग्रीमेंट => अध्यादेश किसी भी किसान के उत्पादन या किसी भी कृषि उपज के पालन से पहले एक किसान और खरीदार के बीच एक कृषि समझौते के लिए प्रदान करता है। एक समझौते की न्यूनतम अवधि एक फसल का मौसम या पशुधन का एक उत्पादन चक्र होगा। अधिकतम अवधि पांच वर्ष है जब तक उत्पादन चक्र पांच वर्ष से अधिक नहीं हो जाता।
  • खेती की उपज का मूल्य निर्धारण => समझौते में खेती की उपज की कीमत का उल्लेख किया जाना चाहिए। भिन्नता के अधीन कीमतों के लिए, उत्पाद के लिए एक गारंटीकृत मूल्य और गारंटी मूल्य के ऊपर किसी भी अतिरिक्त राशि के लिए एक स्पष्ट संदर्भ समझौते में निर्दिष्ट किया जाना चाहिए। इसके अलावा, समझौते में मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया का उल्लेख किया जाना चाहिए।
  • विवाद निपटान => एक कृषि समझौते को एक सुलह बोर्ड के साथ-साथ विवादों के निपटान के लिए एक सुलह प्रक्रिया प्रदान करनी चाहिए। बोर्ड को समझौते के लिए पार्टियों का एक निष्पक्ष और संतुलित प्रतिनिधित्व होना चाहिए। सबसे पहले, सभी विवादों को बोर्ड को प्रस्ताव के लिए भेजा जाना चाहिए। यदि विवाद तीस दिनों के बाद बोर्ड द्वारा अनसुलझे रहता है, तो पार्टियां संकल्प के लिए उप-विभागीय मजिस्ट्रेट से संपर्क कर सकती हैं। मजिस्ट्रेट के निर्णयों के खिलाफ पार्टियों को अपीलीय प्राधिकरण (कलेक्टर या अतिरिक्त कलेक्टर द्वारा अध्यक्षता) के लिए अपील करने का अधिकार होगा। मजिस्ट्रेट और अपीलीय प्राधिकारी दोनों को आवेदन की प्राप्ति से तीस दिनों के भीतर विवाद का निपटारा करने की आवश्यकता होगी। मजिस्ट्रेट या अपीलीय प्राधिकारी समझौते का उल्लंघन करने वाले पार्टी पर कुछ दंड लगा सकते हैं। हालांकि, किसी भी बकाया की वसूली के लिए किसान की कृषि भूमि के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है।

किसान बिल 2024 के मुख्य मुद्दे और विश्लेषण

  • तीन अध्यादेशों का उद्देश्य किसानों की उपज के लिए खरीदारों की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए उन्हें बिना किसी लाइसेंस या स्टॉक सीमा के बिना व्यापार करने की अनुमति देना है, ताकि उनके बीच प्रतिस्पर्धा में वृद्धि के कारण किसानों के लिए बेहतर कीमतें हो सकें। जबकि अध्यादेशों का उद्देश्य व्यापार को उदार बनाना और खरीदारों की संख्या में वृद्धि करना है, अकेले डी-विनियमन अधिक खरीदारों को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है।
  • कृषि संबंधी स्थायी समिति (2018-19) ने उल्लेख किया कि किसानों के लिए पारिश्रमिक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए एक पारदर्शी, आसानी से सुलभ और कुशल विपणन मंच की उपलब्धता एक पूर्व-आवश्यकता है। अधिकांश किसानों को सरकारी खरीद सुविधाओं और एपीएमसी बाजारों तक पहुंच की कमी है। यह नोट किया गया कि छोटे ग्रामीण बाजार कृषि विपणन के लिए एक व्यावहारिक विकल्प के रूप में उभर सकते हैं यदि उन्हें पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं के साथ प्रदान किया जाए।
  • स्थायी समिति ने यह भी सिफारिश की कि ग्रामीण कृषि बाजार योजना (जिसका उद्देश्य देश भर में 22,000 ग्रामीण हाट में बुनियादी सुविधाओं और नागरिक सुविधाओं में सुधार करना है) को पूरी तरह से वित्त पोषित केंद्रीय योजना बनाई जानी चाहिए और प्रत्येक पंचायत में हाट की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए इसे बढ़ाया जाना चाहिए।

किसान बिल के तहत अनुबंध कृषि ( contract farming) प्रणाली

अनुबंध खेती ( contract farming) में खरीदार और खेत उत्पादकों के बीच एक समझौते के आधार पर कृषि उत्पादन शामिल है। कभी-कभी इसमें खरीदार को आवश्यक गुणवत्ता और मूल्य निर्दिष्ट करना शामिल होता है, किसान भविष्य की तारीख में देने के लिए सहमत होता है। आमतौर पर, हालांकि, कृषि उत्पादों के उत्पादन और खरीदार के परिसर में उनकी डिलीवरी के लिए शर्तों की रूपरेखा तैयार करता है। किसान क्रेता की गुणवत्ता मानकों और वितरण आवश्यकताओं के आधार पर, एक फसल या पशुधन उत्पाद की सहमत मात्रा की आपूर्ति करने का कार्य करता है। अधिक जानकारी के लिए नीचे लिंक से पीडीएफ फाइल डाउनलोड करें-

Legal fundamentals for the design of contract farming agreements PDF

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

ये बिल किसान की मदद कैसे करते हैं? क्या वे उसकी आय में वृद्धि करेंगे?

वे अनाज मंडियों में किसानों को कमीशन एजेंटों के चंगुल से बचा सकते हैं। लेकिन बेहतर दाम मिलना किसान की सौदेबाजी की ताकत पर निर्भर करेगा।

बड़े किसान और किसान उत्पादक संगठन अधिक पारिश्रमिक मूल्य प्राप्त करने के लिए बेहतर स्थिति में होंगे, किसान जो अच्छा अनुबंध कृषि सौदों को प्राप्त करते हैं, वे लाभ कमा सकते हैं क्योंकि कंपनियों को इनपुट और प्रौद्योगिकी की पेशकश करने की उम्मीद है।

विधेयकों के प्रमुख लाभार्थियों में निर्यातक हैं। उदाहरण के लिए, बासमती निर्यातक अब पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश एपीएमसी मंडियों से उपज खरीदते हैं, क्रमशः 6 प्रतिशत, 4 प्रतिशत और 2 प्रतिशत मंडी कर का भुगतान करते हैं।

क्या ये किसान कृषि बिल 2024 MSP से दूर जाने का संकेत देते हैं?

नहीं। सरकार ने स्पष्ट कहा है कि एमएसपी जारी रहेगा। लेकिन इसका अप्रत्यक्ष रूप से एमएसपी पर असर पड़ सकता है। विभिन्न फसलों के लिए एमएसपी का फैसला अच्छी तरह से दर्ज मूल्य और मंडियों से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर किया जाता है। यह आशंका है कि केवल अवर श्रेणी की उपज ही मंडियों में आएगी और इससे कीमतों में गिरावट हो सकती है, जिससे खराब रिकॉर्ड रखने की संभावना है, जो अंततः भविष्य के एमएसपी में दिखाई देगा।

 क्या कोई भी प्रावधान किसान विरोधी है?

हां और ना। फार्मगेट पर व्यापार वास्तव में किसानों को उपज को मंडियों तक ले जाने से बचाता है। लेकिन कीमतों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है; न ही किसानों और फर्मों या व्यापारियों के बीच इस तरह के प्रत्यक्ष व्यापार पर नियामक निगरानी है। आलोचकों ने मांग की है कि इन प्रत्यक्ष बिक्री के लिए एमएसपी को फर्श की कीमत बनाया जाए।

कृषि समझौता क्या है?

कृषि समझौता किसान / एफपीओ और प्रायोजक के बीच एक समझौता है: दोनों भागीदार कृषि उत्पादों के उत्पादन और विपणन के लिए नियमों और शर्तों पर पहले से सहमत हैं। कृषि सेवा प्रदाता और एग्रीगेटर जैसे तीसरे पक्ष भी इस तरह के समझौते में शामिल हो सकते हैं।

विभिन्न प्रकार के कृषि समझौते क्या हैं?

खेती के समझौतों में किसान के साथ शेष उत्पादन के जोखिम के साथ भविष्य की कृषि उपज की खरीद या किसानों को सेवा शुल्क के भुगतान के लिए समझौते हो सकते हैं, जहां उत्पादन का जोखिम प्रायोजक / खरीदार द्वारा वहन किया जाता है। कोई संयोजन भी हो सकता है। प्रायोजक उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान इनपुट या प्रौद्योगिकी की आपूर्ति के लिए भी सहमत हो सकता है।

मैं खेती का अनुबंध कैसे शुरू करूं?

भारत सरकार की राष्ट्रीय कृषि नीति में परिकल्पना की गई है कि “निजी क्षेत्र की भागीदारी को अनुबंधित खेती और भूमि लीजिंग व्यवस्था के माध्यम से बढ़ावा दिया जाएगा ताकि त्वरित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, पूंजी प्रवाह और फसल उत्पादन के लिए सुनिश्चित बाजार, विशेषकर तिलहन, कपास और बागवानी की अनुमति मिल सके।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नुकसान क्या हैं?

अनुबंध खेती करने वाले डेवलपर्स के मुख्य नुकसान हैं:

  1. भूमि उपलब्धता की कमी;
  2. सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएं;
  3. किसान असंतोष;
  4. अतिरिक्त-संविदात्मक विपणन; तथा।
  5. इनपुट डायवर्जन
क्या अनुबंध कृषि लाभदायक है?

सर्वेक्षण के परिणाम बताते हैं कि एक अनुबंधित खेत का औसत राजस्व औसत गैर-अनुबंध खेत की तुलना में लगभग 11 प्रतिशत अधिक है। एक अनुबंध खेत में उत्पादन की प्रति हेक्टेयर लागत लगभग 13 प्रतिशत कम है और परिणामस्वरूप अनुबंध के तहत औसत लाभ मार्जिन अनुबंध के बिना 50 प्रतिशत से अधिक है।

3 प्रकार के अनुबंध क्या हैं?

आप थोड़ा सा खर्च किए बिना कुछ बदलने के लिए कई प्रोजेक्ट नहीं कर सकते। और जब पैसा शामिल होता है, तो एक अनुबंध आवश्यक है! आम तौर पर आप एक परियोजना पर तीन प्रकार के अनुबंधों में से एक में आएँगे: निश्चित मूल्य, लागत-प्रतिपूर्ति (जिसे लागत-प्लस भी कहा जाता है) या समय और सामग्री।

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